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Up Kiran, Digital Desk: ओडिशा के कंधमाल जिले में दो सरकारी बालिका छात्रावासों में रह रही 10वीं कक्षा की छात्राओं के गर्भवती पाए जाने की खबर ने शिक्षा संस्थानों में नाबालिग लड़कियों की सुरक्षा पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह मामला तब सामने आया जब ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद की गई नियमित स्वास्थ्य जांच के दौरान इन दोनों किशोरियों की गर्भावस्था का पता चला।
संदेह से शुरू हुआ मामला, मेडिकल जांच में खुलासा
तुमुदीबांध ब्लॉक के अंतर्गत दो अलग-अलग आवासीय विद्यालयों में जब छात्राएं वापस लौटीं, तो छात्रावास कर्मियों ने नियमित रूप से वितरित किए जाने वाले सैनिटरी नैपकिन न लेने पर दोनों छात्राओं पर संदेह जताया। पूछताछ के बाद जब उन्हें चिकित्सकीय परीक्षण के लिए भेजा गया, तो दोनों के गर्भवती होने की पुष्टि हुई। यह खुलासा छात्रावास प्रशासन और शिक्षा विभाग के लिए एक झटके से कम नहीं था।
पुलिस ने की त्वरित कार्रवाई, दर्ज हुए दो मामले
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस को सूचित किया गया, जिसके बाद दो अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गईं। कोटगढ़ पुलिस स्टेशन में मामला संख्या 103/2025 और बेलघर थाने में केस संख्या 64/2025 के तहत जांच शुरू हो चुकी है। बालीगुडा के उप-विभागीय पुलिस अधिकारी (एसडीपीओ) रामेंद्र प्रसाद ने बताया कि दोनों घटनाओं की गंभीरता से जांच की जा रही है और मामले की तह तक जाने के लिए टीम गठित कर दी गई है।
संस्थागत सुरक्षा पर उठे सवाल
इन मामलों ने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सरकारी छात्रावासों में रह रहीं किशोरियों की सुरक्षा पुख्ता है? यह सिर्फ एक चिकित्सा मामला नहीं बल्कि एक संभावित यौन शोषण का गंभीर संकेत भी हो सकता है। सामाजिक कार्यकर्ताओं और बाल अधिकार संगठनों ने इस घटना को निंदनीय बताते हुए मांग की है कि छात्रावासों में निगरानी और सुरक्षा व्यवस्था को तुरंत मजबूत किया जाए।
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