
प्रतीक गांधी और पत्रलेखा अभिनीत फिल्म ‘फुले’ ने रिलीज से पहले ही विवादों का सामना करना शुरू कर दिया है। समाज सुधारकों ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले की जिंदगी पर आधारित इस फिल्म के ट्रेलर के सामने आने के बाद से ब्राह्मण समुदाय ने इसके खिलाफ नाराजगी जताई है। आरोप है कि फिल्म में जातिवाद को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है और कुछ किरदारों का चित्रण गलत तरीके से किया गया है।
ब्राह्मण समुदाय की आपत्ति के चलते टली फिल्म की रिलीज
महाराष्ट्र में ब्राह्मण समुदाय द्वारा विरोध दर्ज कराए जाने के बाद ‘फुले’ की रिलीज फिलहाल रोक दी गई है। फिल्म के खिलाफ विरोध जताने वालों का कहना है कि इसमें तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिससे समुदाय की भावनाएं आहत हो रही हैं। डायरेक्टर अनंथ महादेवन की इस फिल्म को लेकर अब राजनीतिक और सामाजिक बहस भी तेज हो गई है।
अनुराग कश्यप की तीखी प्रतिक्रिया, फिर माफी
फिल्म को लेकर मचे विवाद के बीच निर्देशक अनुराग कश्यप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने ब्राह्मण समुदाय के विरोध पर तीखा कमेंट किया, जिससे मामला और भड़क गया। उन्होंने ऐसी भाषा का इस्तेमाल किया जो सार्वजनिक मंच पर भारी विवाद का कारण बनी।
बयान पर मचे हंगामे के बाद मांगी माफी
जब उनके बयान की आलोचना तेज हुई तो अनुराग कश्यप ने इंस्टाग्राम पर एक नया पोस्ट लिखकर सफाई दी और माफी भी मांगी। हालांकि माफी में भी उन्होंने तंज कसते हुए अपनी बात रखी। अनुराग ने लिखा,
“यह मेरी माफी है, मेरी पोस्ट के लिए नहीं बल्कि उस एक पंक्ति के लिए जिसे संदर्भ से बाहर निकाल दिया गया और जो नफरत फैला रही है। कोई भी राय इस लायक नहीं होती कि मेरी बेटी, परिवार या साथियों को बलात्कार और जान से मारने की धमकियां मिलें।”
महिलाओं को निशाना न बनाएं – कश्यप
अपने पोस्ट में अनुराग कश्यप ने खास तौर पर इस बात पर जोर दिया कि किसी भी बहस में महिलाओं को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने लिखा,
“जो कहना था मैंने कह दिया। लेकिन मुझे गालियां दो, मेरे परिवार को नहीं। अगर माफी से बात बने तो मैं माफी मांगता हूं। ब्राह्मण समाज से सिर्फ यही कहूंगा—औरतों को बख्श दो, इतना तो शास्त्रों में भी सिखाया गया है। आप खुद तय कर लीजिए कि आप कौन से ब्राह्मण हैं।”
फिल्म ‘फुले’ को लेकर अब बढ़ती जा रही है बहस
यह विवाद सिर्फ फिल्म तक सीमित नहीं रह गया है। अब यह बहस अभिव्यक्ति की आज़ादी, ऐतिहासिक सच्चाई के चित्रण और सामाजिक संवेदनशीलता के बीच संतुलन को लेकर हो रही है। फिल्म ‘फुले’ समाज सुधारकों की कहानी को जनता के सामने लाने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह कितनी सटीक और संतुलित है, इस पर अभी राय बंटी हुई है।
क्या आगे बढ़ेगी फिल्म की रिलीज?
फिलहाल, फिल्म की रिलीज डेट आगे बढ़ा दी गई है और निर्माता पक्ष अब विवाद शांत होने का इंतजार कर रहा है। सेंसर बोर्ड की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं कि क्या वह सामाजिक दबाव में काम कर रहा है या वाकई विवादित सामग्री को लेकर संजीदा है।
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