Up Kiran, Digital Desk: पाकिस्तान में एक नया सामाजिक आंदोलन तेजी से फैलता जा रहा है, और इस बार उसका नेतृत्व युवाओं, खासकर "जेन जेड" (Gen Z) छात्रों ने किया है। पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में शुरू हुआ यह आंदोलन अब पूरी पाकिस्तान सरकार को चुनौती देने की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। छात्रों का यह संघर्ष शैक्षिक सुधारों के नाम पर बढ़ती हुई ट्यूशन फीस और नई मूल्यांकन प्रणाली (ई-मार्किंग) के खिलाफ है। यह आंदोलन शुरुआत में तो फीस वृद्धि के खिलाफ था, लेकिन अब यह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के खिलाफ एक व्यापक विरोध बन चुका है।
मुख्य विवाद और मांगें क्या
छात्रों का सबसे बड़ा मुद्दा नए शैक्षणिक सत्र में लागू की गई ई-मार्किंग प्रणाली से जुड़ा हुआ है। अक्टूबर के अंत में जब इंटरमीडिएट पहले वर्ष के परिणाम घोषित किए गए, तो छात्रों में हड़कंप मच गया। कई छात्रों ने शिकायत की कि उन्हें अपेक्षाकृत कम अंक मिले हैं, और उन्होंने इसके लिए ई-मार्किंग सिस्टम को दोषी ठहराया। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, कुछ छात्रों को उन विषयों में भी पास कर दिया गया था जिनकी उन्होंने परीक्षा ही नहीं दी थी। इसने आंदोलन को और तेज कर दिया।
इसके बाद, छात्रों की प्रमुख मांग बनी कि पुनर्मूल्यांकन शुल्क को माफ किया जाए। इस शुल्क की रकम इतनी अधिक है कि यह गरीब छात्रों के लिए भारी बोझ बन जाती है—एक विषय के लिए यह शुल्क 1500 रुपये है, जो सात विषयों के लिए 10500 रुपये तक पहुंच जाता है। यह विवाद अब पाकिस्तान के बड़े शहरों जैसे लाहौर तक फैल चुका है, जहां छात्रों ने प्रेस क्लब के बाहर प्रदर्शन किए। इस आंदोलन को एक संगठन, संयुक्त अवामी एक्शन कमेटी (जेएएसी), भी समर्थन दे रहा है, जो पहले की हिंसक घटनाओं में भी प्रमुख रूप से शामिल था।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में पहले भी उठ चुका था विरोध का स्वर
इससे पहले, एक महीने पहले, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था। यह आंदोलन 30 प्रमुख मांगों के साथ शुरू हुआ था, जिसमें करों में छूट, खाद्य और बिजली पर सब्सिडी तथा विकास कार्यों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने की मांगें शामिल थीं। उस समय पाकिस्तान के प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी कर इसे दबाने की कोशिश की थी, लेकिन यह आंदोलन पाकिस्तानी सेना के भ्रष्टाचार और मनमानी के खिलाफ एक बड़े विद्रोह में बदल गया। अंततः सरकार को कुछ प्रमुख मांगों को स्वीकार करना पड़ा और तब जाकर यह आंदोलन शांत हुआ।
नेपाल में सत्ता का पतन और पाकिस्तानी संदर्भ में जेन जेड की भूमिका
पाकिस्तान में यह आंदोलन निश्चित रूप से कुछ नया और अलग है। यहां पहले राजनीतिक दलों द्वारा आंदोलनों का नेतृत्व किया जाता था, लेकिन अब युवाओं की आवाज़, विशेषकर जेन जेड, ने मोर्चा संभाला है। यह बदलाव पाकिस्तान के लिए एक संवेदनशील समय में हो रहा है, क्योंकि इसने नेपाल के घटनाक्रमों की याद दिला दी है। नेपाल में भी जब युवा नेताओं ने विरोध किया था, तो यह विरोध सरकार के खिलाफ बगावत में बदल गया था, जिसने अंततः केपी शर्मा ओली की सरकार को उखाड़ फेंका। वहाँ भी विरोध शुरू में सोशल मीडिया पर पाबंदी के खिलाफ था, लेकिन धीरे-धीरे यह भ्रष्टाचार के खिलाफ एक विशाल आंदोलन में तब्दील हो गया। युवा नेताओं की आक्रोशित लहर ने वहां की सरकार को हिला दिया था, और अंततः संसद भवन तक को आग के हवाले कर दिया था।
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