Up Kiran, Digital Desk: पश्चिम अफ्रीका का छोटा सा देश गिनी-बिसाऊ एक बार फिर राजनीतिक उथल-पुथल की चपेट में है। हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से ठीक पहले बुधवार को सेना ने सत्ता पर कब्जे का ऐलान कर दिया। यह घटना करीब 20 लाख की आबादी वाले इस गरीब देश के लोगों के लिए नया संकट पैदा कर रही है जहां पहले से ही नशीली दवाओं की तस्करी और अस्थिरता की समस्या गंभीर रूप ले चुकी है।
सैनिकों की गोलीबारी ने राजधानी बिसाऊ को तनावग्रस्त बना दिया है और सीमाओं को बंद करने से व्यापारिक गतिविधियां ठप हो गई हैं। ऐसे में स्थानीय निवासियों को कर्फ्यू की मार झेलनी पड़ रही है जबकि वैश्विक समुदाय क्षेत्रीय शांति पर असर की आशंका जता रहा है।
सेना का दावा और अस्थिरता का बहाना
सैन्य नेतृत्व ने सरकारी चैनल पर घोषणा की कि उन्होंने पूरे राष्ट्र की जिम्मेदारी संभाल ली है। प्रवक्ता डिनिस एन'तचमा ने स्पष्ट किया कि यह कदम देश को अस्थिर करने वाली साजिश के खिलाफ उठाया गया।
उन्होंने एक विशेष सैन्य इकाई का गठन भी बताया जो व्यवस्था बहाल करने का काम करेगी। लेकिन यह दावा आम जनता के लिए चिंता का विषय है क्योंकि इससे चुनावी प्रक्रिया रुक गई है और सीमाएं सील हो चुकी हैं। कर्फ्यू लगने से बाजार बंद हैं और लोग घरों में कैद हो गए हैं।
राष्ट्रपति की गिरफ्तारी और विरोधी का आरोप
सेना अधिकारियों ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति उमारो सिसोको एम्बालो को पद से हटा दिया गया है। सूत्रों के अनुसार उन्हें सेना प्रमुख के कार्यालय में रखा गया है हालांकि आधिकारिक तौर पर हिरासत की पुष्टि नहीं हुई।
एम्बालो ने फ्रांस 24 को दिए साक्षात्कार में स्वीकार किया कि उनकी सत्ता छीन ली गई। दूसरी ओर मुख्य विपक्षी उम्मीदवार फर्नांडो डायस ने वीडियो संदेश में दावा किया कि यह सब नकली साजिश है। उन्होंने कहा कि चुनाव जीतने के डर से राष्ट्रपति ने यह नाटक रचा है। डायस ने यह भी बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री डोमिंगोस सिमोस परेरा को पकड़ लिया गया है। इस आरोप-प्रत्यारोप ने जनता में भ्रम पैदा कर दिया है।
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