
Up kiran Live , Digital Desk: भारत में पैसेंजर व्हीकल (PV) सेगमेंट को लेकर एक नई रिपोर्ट सामने आई है, जो भविष्य की तस्वीर कुछ मिली-जुली दिखाती है। क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025-26 में पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री की विकास दर भले ही धीमी हो, लेकिन कुल बिक्री एक नए रिकॉर्ड तक पहुंचने के पूरे आसार हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भले ही वार्षिक ग्रोथ रेट 2 से 4 प्रतिशत के बीच रहे, फिर भी भारत में पैसेंजर व्हीकल्स की कुल बिक्री 50 लाख यूनिट्स के आंकड़े को पार कर सकती है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि होगी।
भारत में पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट की ग्रोथ का हाल
क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि:
पैसेंजर व्हीकल बिक्री में वार्षिक वृद्धि दर 2-4% के बीच रहने की संभावना है।
इसके बावजूद, 2025-26 में बिक्री रिकॉर्ड 50 लाख यूनिट्स तक पहुंचने की उम्मीद है।
इस आंकड़े में डोमेस्टिक सेल्स और एक्सपोर्ट्स दोनों को शामिल किया गया है।
इससे साफ है कि मांग स्थिर बनी हुई है, लेकिन बाजार में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, बढ़ती कीमतें और कुछ अन्य चुनौतियों के चलते ग्रोथ रफ्तार थोड़ी सुस्त पड़ सकती है।
इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में क्यों आई सुस्ती?
रिपोर्ट में इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेगमेंट पर भी खास फोकस किया गया:
पिछले साल EV सेगमेंट ने दोगुनी ग्रोथ दर्ज की थी।
लेकिन इस साल ग्रोथ दर घटकर 3 से 3.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।
इसके पीछे मुख्य वजहें हैं:
नई गाड़ियों की ऊंची कीमतें।
चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी।
बैटरियों की लागत में गिरावट के बावजूद ग्राहकों तक सीमित पहुंच।
क्रिसिल का मानना है कि जब तक चार्जिंग नेटवर्क मजबूत नहीं होगा और कीमतों में संतुलन नहीं आएगा, तब तक EV सेगमेंट की ग्रोथ में तेज उछाल की संभावना कम है।
निर्यात के मोर्चे पर क्या कहता है क्रिसिल?
भारत से पैसेंजर व्हीकल्स के निर्यात में भी कुछ चुनौतियां देखने को मिल सकती हैं:
वित्त वर्ष 2025-26 में निर्यात ग्रोथ रेट घटकर 5 से 7 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।
इसके प्रमुख कारण हैं:
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं।
अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का असर (हालांकि अमेरिका का योगदान भारत के कुल यात्री वाहन निर्यात में केवल 1% है)।
क्रिसिल का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ से भारत को सीमित नुकसान होगा, लेकिन अन्य बाजारों में मांग घटने से कुछ दबाव बन सकता है।
ऑटो इंडस्ट्री के लिए आगे का रास्ता
नवाचार और नए मॉडल लॉन्च भारतीय बाजार में मांग को बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।
ईंधन दक्षता, सेफ्टी फीचर्स, और ईवी टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित करना कंपनियों के लिए जरूरी होगा।
साथ ही, बेहतर फाइनेंसिंग विकल्प और सरकारी सपोर्ट भी उद्योग को सहारा दे सकते हैं।
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