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साल 2018 में हुआ पंजाब नेशनल बैंक (PNB) घोटाला आज भी देश के सबसे बड़े फाइनेंशियल घोटालों में से एक माना जाता है। हीरा कारोबारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से पीएनबी से करीब 13,000 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा कर देश को हिला दिया था।

लेकिन अब वही जगह, जहां यह घोटाला हुआ था — मुंबई के फोर्ट इलाके में स्थित ब्रैडी हाउस बिल्डिंग — पूरी तरह बदल चुकी है। पीएनबी का वह बदनाम ब्रांच अब कॉफी कैफे में तब्दील हो गया है। जहां कभी बैंकिंग सिस्टम की सबसे बड़ी सेंधमारी हुई थी, वहां अब लोग चाय-कॉफी की चुस्कियों के साथ बिजनेस मीटिंग करते और दोस्तों के साथ गपशप करते नजर आते हैं।

कैसे बदल गया पीएनबी का बदनाम ब्रांच?

ब्रैडी हाउस बिल्डिंग स्थित पीएनबी ब्रांच वह जगह थी जहां से नीरव मोदी और मेहुल चोकसी ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) और फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट (FLC) का गलत इस्तेमाल कर बैंकिंग सिस्टम को चूना लगाया।

इस ब्रांच के जरिए अरबों रुपये के फर्जी ट्रांजैक्शन किए गए, जिससे पीएनबी और अन्य बैंकों को भारी नुकसान हुआ।

घोटाले के बाद, पीएनबी ने इस ब्रांच को खाली कर अपने अन्य ऑफिस, पीएनबी हाउस (सर पीएम रोड, फोर्ट, मुंबई) में शिफ्ट कर दिया।

इसके बाद, ब्रैडी हाउस वाली जगह को किराए पर देकर एक मॉडर्न कैफे में बदल दिया गया।

अब इस कैफे में हल्की म्यूजिक के बीच गरमा गरम ऑर्गेनिक कॉफी का मजा लिया जा सकता है। जो जगह एक वक्त देशभर में घोटाले के लिए बदनाम थी, अब वहां लोग बेफिक्री से बैठकर गपशप कर रहे हैं।

क्या है इस कैफे की खासियत?

बिजनेस मीटिंग्स के लिए शानदार माहौल।

ऑर्गेनिक चाय और कॉफी का स्वाद।

घोटाले के अतीत को पीछे छोड़कर पॉजिटिव वाइब्स वाली जगह बन चुकी है।

युवाओं और प्रोफेशनल्स के बीच यह लोकेशन तेजी से लोकप्रिय हो रही है।

नीरव मोदी और मेहुल चोकसी का हाल क्या है?

दोनों आरोपी देश छोड़कर भाग चुके थे।

हाल ही में, बेल्जियम में मेहुल चोकसी को गिरफ्तार किया गया है।

नीरव मोदी ब्रिटेन में गिरफ्तार होने के बाद से प्रत्यर्पण का सामना कर रहा है।

दोनों के खिलाफ सीबीआई और ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के तहत केस दर्ज हैं और भारत सरकार उनके प्रत्यर्पण के प्रयास कर रही है।

पीएनबी घोटाले का सबक

यह घोटाला भारतीय बैंकिंग सिस्टम के लिए एक बड़ा सबक था। इसके बाद:

बैंकों में सुरक्षा मानकों को और सख्त किया गया।

लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जैसी प्रक्रियाओं पर सख्त निगरानी शुरू की गई।

फाइनेंशियल सिस्टम में ट्रांसपेरेंसी और जवाबदेही को प्राथमिकता दी गई।

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