Up Kiran, Digital Desk: नैनीताल, जो कभी अपनी झील, प्राकृतिक सुंदरता और शांति के कारण विदेशियों के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल था, आज विदेशी पर्यटकों की कमी से जूझ रहा है। कुछ साल पहले तक यहां के बाजारों में विदेशी पर्यटक आसानी से नजर आते थे। वे नाव की सैर करते, झील के किनारे बिता समय पसंद करते थे और इस शहर की खूबसूरती में खो जाते थे। लेकिन अब वही गलियां सैलानियों की कमी महसूस कर रही हैं।
स्थानीय निवासियों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में विदेशी पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई है। पहले जहाँ हर होटल में विदेशी मेहमानों की बुकिंग होती थी, अब यह संख्या बहुत कम हो गई है। और तो और, विदेशी पर्यटकों ने अब हिमाचल प्रदेश, लद्दाख और दक्षिण भारत जैसे अन्य स्थलों की ओर रुख किया है।
इसके अलावा, नैनीताल में ट्रैफिक जाम, सीमित पार्किंग की व्यवस्था और बढ़ती भीड़-भाड़ ने विदेशी पर्यटकों को असुविधा में डाला है। पर्यटन विशेषज्ञों का कहना है कि शहर को ‘सस्टेनेबल टूरिज्म मॉडल’ की आवश्यकता है, ताकि विदेशी पर्यटक एक बार फिर से यहां लौट सकें।
नैनीताल का ऐतिहासिक पर्यटन दृष्टिकोण
नैनीताल में पर्यटन का आगाज 19वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था, जब 1841 में इस शहर का नगरीकरण हुआ। तब से यह एक प्रमुख हेल्थ रिसॉर्ट के रूप में प्रसिद्ध हुआ था। उस समय अंग्रेजों के लिए यह स्थल सेहत सुधारने का एक प्रमुख केंद्र था। 20वीं शताब्दी के अंत तक, प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट की मां, मैरी कॉर्बेट ने यहां पर्यटन को नया आयाम दिया। वे यहां के बंगलों को लीज पर लेकर बाहर से आने वाले अंग्रेज पर्यटकों को किराए पर देती थीं।
हालांकि, प्रथम विश्वयुद्ध (1914-1918) के दौरान विदेशी पर्यटक नैनीताल नहीं आ पाए, लेकिन युद्ध के बाद फिर से यहां की पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि हुई। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद, ब्रिटिश सैनिकों को आराम देने के लिए नैनीताल लाया गया था, और इस दौरान कई शहीद सैनिकों की कब्रें भी यहां बनीं, जिन्हें देखने उनके परिवारजन भी आए।
स्वतंत्रता के बाद विदेशी पर्यटकों की बढ़ती संख्या
भारत की स्वतंत्रता के बाद, नैनीताल में विदेशी पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ। यहां के ऐतिहासिक चर्च और कब्रिस्तान विशेष रूप से उन्हें आकर्षित करते थे। खासकर सेंट जॉन्स चर्च, जहां जिम कॉर्बेट की मां की समाधि है, एक प्रमुख आकर्षण था। इन ऐतिहासिक स्थलों को देखने के लिए बहुत से विदेशी पर्यटक यहां आते थे।
पर्यटन में गिरावट के कारण
लेकिन अब सरकार की उदासीनता के चलते नैनीताल में अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन घटता जा रहा है। प्रोफेसर अजय रावत के मुताबिक, सरकार द्वारा ऐतिहासिक इमारतों, चर्चों और कब्रिस्तानों का सही तरीके से संरक्षण नहीं किया गया है। इन स्थानों का पर्याप्त प्रचार-प्रसार नहीं किया गया, जिससे विदेशी पर्यटकों का आकर्षण घट गया है।

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