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Up kiran,Digital Desk : उपराष्ट्रपति सत्यनारायण राधाकृष्णन ने तमिलनाडु के रामेश्वरम में आयोजित काशी तमिल संगम 4.0 (KTS 4.0) के समापन समारोह में भाषाई और सांस्कृतिक एकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि कभी भी मातृभाषा प्रेम और देशभक्ति अलग नहीं होती, और 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' के आदर्श के तहत राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

मुख्य बातें

राधाकृष्णन ने कहा, “हम प्रतिदिन भारत माता के चरणों में प्रणाम करते हैं और राष्ट्र की समृद्धि की कामना करते हैं। क्या इससे हम तमिलन विरोधी हो जाते हैं? नहीं। यदि देश एक आंख है और मातृभाषा तमिल दूसरी आंख, तो इन्हें कौन अलग कर सकता है?”

उन्होंने पांडिय नाडु के तमिल योद्धाओं का जिक्र किया, जिन्होंने मुगलों द्वारा काशी मंदिर पर हुए विनाश के खिलाफ मदद की।

नट्टुकोट्टई चेत्तियार समुदाय की हालिया उपलब्धि का उदाहरण भी साझा किया: राज्य के सहयोग से 48 घंटे में अपने काशी विश्रामगृह की 300 करोड़ रुपये की अतिक्रमित भूमि वापस पाई गई।

नट्टुकोट्टई चेत्तियार समुदाय का अनुभव

उपराष्ट्रपति ने बताया कि चेत्तियार समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री से मुलाकात की और फिर मुख्यमंत्री से जमीन संबंधी मामले पर चर्चा की। सभी दस्तावेज पेश करने के बाद अधिकारी जमीन को उनके नाम मानने के लिए सहमत हुए। सिर्फ 48 घंटों में भूमि वापस मिल गई और अब यह भव्य बहुमंजिला विश्राम गृह के रूप में तैयार है।

काशी तमिल संगम 4.0 का उद्देश्य

आयोजन का मुख्य विषय था ‘तमिल करकलम’ (आइए तमिल सीखें)।

यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच भाषाई आदान-प्रदान और साझा विरासत को बढ़ावा देने का प्रयास है।

यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में 2 से 15 दिसंबर तक वाराणसी में आयोजित हुआ, और समापन समारोह रामेश्वरम में हुआ।

इस संगम ने यह संदेश दिया कि भाषा और संस्कृति के माध्यम से भारत की एकता और आपसी सहयोग को मजबूत किया जा सकता है।