युगधारा फाउंडेशन लखनऊ तथा मुक्तक लोक सम्पूर्ण हिन्दी साहित्यांगन लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय आठवां वार्षिकोत्सव हरिद्वार, उत्तराखण्ड में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम का उद्घाटन उत्तराखंड संस्कृत विश्व विद्यालय के कुलपति और हिंदी तथा संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान डॉ॰ दिनेशचंद्र शास्त्री ने दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता देहरादून हिन्दी साहित्य समिति के अध्यक्ष प्रो.(डॉ॰) राम विनय सिंह ने की ।
संस्था की अध्यक्ष श्रीमती गीता अवस्थी के अतिरिक्त डॉ॰ कृपा शंकर मिश्र मुंबई, डॉ॰ ऋतुध्वज सिंह हरिद्वार , श्री अश्विनी कुमार पंचकुला, श्री सुशील कुमार झा हरिद्वार, डॉ॰ शिव मोहन सिंह देहरादून और डॉ॰ राम कृष्ण वि सहस्रबुद्धे नागपुर, विशिष्ट अतिथि के रूप में मंचासीन रहे ।
दीप प्रज्वलन तथा मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण करके सरस्वती वंदना के साथ कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया। डॉ॰ मृदुल तिवारी महक, मुम्बई ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की।
युगधारा की महासचिव सुश्री सौम्या मिश्रा अनुश्री ने अपने स्वागत उद्बोधन के साथ ही संस्था का विस्तृत परिचय तथा आयोजन के विषय में विस्तृत जानकारी भी प्रस्तुत की।
इस अवसर पर विद्वान वक्ताओं ने साहित्य के विविध आयामों से संबंधित विषयों पर विस्तार से चर्चा की। मुंबई से आए डॉ॰ कृपा शंकर मिश्र ने " हिन्दी साहित्य में नवांकुरो की भूमिका" , नागपुर से आये डॉ॰ रामकृष्ण वी सहस्रबुद्धे ने "साहित्य आत्मबोध से विश्व बोध तक" , देहरादून के डॉ॰ शिवमोहन सिंह ने "समकालीन साहित्य और रचनाकारों की भूमिका" तथा हरिद्वार से डॉ॰ ऋतुध्वज सिंह ने "साहित्य में सांस्कृतिक विमर्श" विषयक अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया।
मुख्य अतिथि डॉ॰ दिनेशचंद्र शास्त्री तथा अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ॰) राम विनय सिंह , दोनों विद्वानों ने चर्चा के सभी विषयों को सम्मिलित करते हुए हिंदी साहित्य , समाज और संस्कृति विषयक अपने सारगर्भित उद्बोधन से सभागार में उपस्थित साहित्य मनीषियों , प्रबुद्ध श्रोताओं को अभिसिंचित किया। दोनों विद्वानों ने युगधारा फाउंडेशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम के महत्व को भी रेखांकित किया।
पुस्तक विमोचन एवं चर्चा विषयक तृतीय सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में हरिद्वार जिले के मुख्य विकास अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ॰ ललित नारायण मिश्र IAS ने गरिमा प्रदान की। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता श्रीमती गीता अवस्थी जी अध्यक्ष युगधारा फाउंडेशन लखनऊ तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री अनिल अग्रवाल समाजसेवी देहरादून, डॉ॰ शिवमोहन सिंह वरिष्ठ साहित्यकार देहरादून, डॉ रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे वरिष्ठ साहित्यकार नागपुर विराजमान रहे ।
इस सत्र में कुल चौदह पुस्तकों का लोकार्पण हुआ- डॉ॰ शिव मोहन सिंह कृत "सर्जना के विविध आयाम", डॉ मृदुल तिवारी महक का ग़ज़ल संग्रह "ख्वाहिशें", किरन तिवारी का उपन्यास "अन्तर्द्वन्द", डॉ पुष्पांजलि अग्रवाल का "श्वासों का सफर", डॉ विभा प्रकाश का "सीप में सागर ", सौम्या मिश्रा अनुश्री का "टुकड़ा-टुकड़ा जीवन" तथा कर्णधार, डॉ राम कृष्ण वि सहस्रबुद्धे की कृति "प्यार के धागे", डॉ मुकंद नीलकंठ जोशी की "सवैया कवित्त", वर्ड रामायण तथा अपनी सबकी मौज, डॉ छगन लाल गर्ग की कृति " छगन दोहावली विविधा" का लोकार्पण हुआ।
आज के सभी सत्रों का संचालन देहरादून के सुकवि पवन शर्मा ने कुशलता पूर्वक करते हुए सभी का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया।
अधिवेशन के दूसरे दिन के प्रथम सत्र की मुख्य अतिथि रहीं देहरादून की वरिष्ठ साहित्यकार पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ विद्या सिंह तथा अध्यक्ष पुणे से आए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ मुकुंद नीलकंठ जोशी जी। विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉक्टर श्रीनिवास शुक्ल सरस वरिष्ठ साहित्यकार मध्य प्रदेश, डाॅ छगनलाल गर्ग वरिष्ठ साहित्यकार राजस्थान, डॉ॰ इंदु अग्रवाल वरिष्ठ साहित्यकार देहरादून, श्री उत्तंक जोशी डिप्टी डायरेक्टर पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार, डॉ॰ शिवमोहन सिंह वरिष्ठ साहित्यकार देहरादून तथा कार्यक्रम का सफल संचालन किया देहरादून के कवि श्री सत्येंद्र शर्मा तरंग ने ।
द्वितीय सत्र था सम्मान समारोह, जिसमें मुख्य अतिथि डॉ सविता मोहन वरिष्ठ साहित्यकार पूर्व निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड, विशिष्ट अतिथि डॉ विद्या सिंह , डॉ॰ श्रीनिवास शुक्ल सरस, डॉ॰ शिवमोहन सिंह , श्रीमती गीता अवस्थी, श्री आकाश अवस्थी के कर कमलों द्वारा देश के विभिन्न राज्यों के कुछ विद्वान साहित्यकारों को सम्मानित किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ रामकृष्ण वि सहस्रबुद्धे तथा कुशल संचालन सौम्या मिश्रा अनुश्री एवं अर्चना झा ने किया।
तृतीय तथा अंतिम सत्र कवि सम्मेलन का रहा, जिसमें अध्यक्ष डॉ इंदु अग्रवाल तथा मुख्य अतिथि के रूप में बीकानेर राजस्थान से आए प्रख्यात कवि शायर श्री रवि शुक्ल ने कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती संगीता शुक्ला मध्य प्रदेश, श्रीकांत श्री देहरादून, श्री ब्रिजेंद्र हर्ष हरिद्वार, श्रीमती कविता सूद चंडीगढ़ , डॉ॰ मृदुल तिवारी महक मुंबई भी मंच पर विराजमान रहे। कवि सम्मेलन का सफल संचालन श्री पवन शर्मा ने किया। कार्यक्रम के अंत में युगधारा फाउंडेशन की महासचिव सौम्या मिश्र ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा राष्ट्रगान के साथ दो दिवसीय अधिवेशन अपनी पूर्णता के साथ संपन्न हुआ।




