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Up Kiran, Digital Desk: भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश के एक ऐसे वीर सपूत, हवलदार पीरू सिंह को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की है, जिन्होंने 1948 के टिटवाल युद्ध में अदम्य साहस और सर्वोच्च बलिदान का परिचय दिया था। सिंह ने हवलदार पीरू सिंह की वीरता को याद करते हुए उन्हें 'मातृभूमि का वीर सपूत' करार दिया।

हवलदार पीरू सिंह को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान, परमवीर चक्र (Param Vir Chakra) से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उनकी असाधारण वीरता और कर्तव्य के प्रति उनके पूर्ण समर्पण का प्रतीक है, जिसे उन्होंने देश की रक्षा करते हुए प्रदर्शित किया।

शौर्यगाथा - टिटवाल युद्ध, 1948: यह घटना 18 जुलाई, 1948 की है, जब जम्मू-कश्मीर के टिटवाल सेक्टर में भारतीय सेना और दुश्मन के बीच भीषण लड़ाई चल रही थी। हवलदार पीरू सिंह को दुश्मन के एक मजबूत ठिकाने पर हमला करने का काम सौंपा गया था। भारी मशीनगन और हथगोलों की लगातार आग के बावजूद, पीरू सिंह ने हार नहीं मानी। उन्होंने जबरदस्त दृढ़ संकल्प के साथ दुश्मन के बंकरों को एक के बाद एक नष्ट करना शुरू कर दिया।

दुश्मन की गोलीबारी में उन्हें गंभीर चोटें आईं, लेकिन उन्होंने अपनी पीड़ा की परवाह किए बिना लड़ाई जारी रखी। वे अपने घायल साथियों को भी प्रेरित करते रहे और अंतिम सांस तक दुश्मन का मुकाबला करते रहे। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी, लेकिन अपनी असाइनमेंट को सफलतापूर्वक पूरा किया और दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हवलदार पीरू सिंह की शौर्यगाथा देश की युवा पीढ़ी को हमेशा प्रेरणा देती रहेगी और उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनका नाम भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है, जो साहस, कर्तव्य और बलिदान का एक अमर प्रतीक है।

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