Up Kiran, Digital Desk: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून की पहचान, उसका ऐतिहासिक घंटाघर, आखिरकार फिर से समय बताने लगा है। शहर की इस धड़कन को अपनी घड़ी के बार-बार रुकने और गलत समय दिखाने की लगातार शिकायतों ने काफी परेशान कर रखा था। लेकिन अब, जिलाधिकारी सविन बंसल की पहल पर, चेन्नई से आए विशेषज्ञों की टीम ने इसे एक नई ज़िंदगी दी है।
देहरादून का यह केंद्र बिंदु, जो न केवल एक स्मारक है बल्कि शहर का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा भी है, लंबे समय से अपनी इस तकनीकी खराबी के कारण चर्चा में था। जिलाधिकारी ने मामले को गंभीरता से लिया और इस विरासत को दुरुस्त करने के लिए तुरंत धनराशि स्वीकृत की। इस महत्त्वपूर्ण काम के लिए, चेन्नई की प्रतिष्ठित विशेषज्ञ फर्म इंडियन क्लॉक्स को ज़िम्मेदारी सौंपी गई।
टीम के इंजीनियरों ने बारीकी से जाँच की। उनकी पड़ताल में पता चला कि घड़ी की वायरिंग खराब हो गई थी। इसके साथ ही, उसका जीपीएस सिस्टम, लाउडस्पीकर और घंटा बजाने वाली बेल (घंटी) में भी ख़ामी आ गई थी। विशेषज्ञों ने तुरंत सभी खराब पुर्ज़ों, जैसे जीपीएस, तार, लाउडस्पीकर और बेल को बदलकर पूरी व्यवस्था को ठीक कर दिया है। अब यह सुनिश्चित किया गया है कि घंटाघर की घड़ी बिना किसी रुकावट के एकदम सही समय बताए।
आपको बता दें, ईंटों और पत्थरों से बना यह षट्कोणीय (छह कोने वाला) घंटाघर अपनी बनावट में बेहद अनूठा है। इसकी छह भुजाओं पर छह घड़ियाँ लगी हुई हैं। यह भारत का शायद सबसे बड़ा ऐसा घंटाघर है जिसमें अब घंटा नहीं बजता (पहले यह दूर-दूर तक सुनाई देता था)।
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