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उज्जैन में तोड़ी गई मस्जिद दोबारा बनाने की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, अदालत ने कहा- "अब कुछ नहीं हो सकता"

नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में तोड़ी जा चुकी एक मस्जिद को फिर से बनाने की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि जिस जमीन पर मस्जिद बनी थी, वह कानूनी तौर पर याचिकाकर्ताओं की नहीं थी और अब इस मामले में कुछ भी नहीं किया जा सकता.

यह मामला उज्जैन में रेलवे स्टेशन के पास स्थित एक पुरानी मस्जिद से जुड़ा है, जिसे कुछ समय पहले विकास और विस्तार परियोजनाओं के तहत हटा दिया गया था.

क्या था पूरा मामला?

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी कि प्रशासन ने गलत तरीके से मस्जिद को तोड़ दिया है और उन्हें उसी जगह पर इसे फिर से बनाने की इजाजत दी जानी चाहिए. उनका दावा था कि यह मस्जिद सालों से वहां मौजूद थी और यह उनकी धार्मिक आस्था का केंद्र थी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?

सुप्रीम कोर्ट ने मामले के तथ्यों और पुराने रिकॉर्ड को देखने के बाद याचिका को खारिज कर दिया. अदालत ने अपने फैसले में कुछ महत्वपूर्ण बातें कहीं:

  1. मालिकाना हक का अभाव: कोर्ट ने पाया कि जिस जमीन पर मस्जिद का ढांचा बना हुआ था, उसका मालिकाना हक याचिकाकर्ताओं के पास कभी था ही नहीं. जमीन का स्वामित्व उनके नाम पर नहीं था, इसलिए वे उस पर दोबारा निर्माण का दावा नहीं कर सकते.
  2. कानूनी प्रक्रिया का पालन: अदालत ने यह भी संकेत दिया कि ढांचे को हटाने की कार्रवाई एक कानूनी प्रक्रिया के तहत की गई थी.
  3. अब बहुत देर हो चुकी है: कोर्ट ने यह भी कहा कि अब इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि ढांचा पहले ही हटाया जा चुका है और उस जमीन पर अब नई परियोजनाएं चल रही हैं.

इस फैसले के साथ ही, उस स्थान पर मस्जिद के पुनर्निर्माण की सभी कानूनी संभावनाएं लगभग समाप्त हो गई हैं. यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि किसी भी धार्मिक स्थल के निर्माण के लिए जमीन का कानूनी स्वामित्व कितना महत्वपूर्ण होता है.