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Up Kiran, Digital Desk: गुरुवार की आधी रात से दिल्ली में शुरू हुई झमाझम बारिश ने जहाँ एक तरफ लोगों को चिलचिलाती गर्मी से कुछ राहत दी, वहीं दूसरी तरफ राजधानी के लिए बड़ी आफत भी साथ लेकर आई। सुबह होते-होते दिल्ली के कई इलाके पानी में डूब गए, सड़कें तालाब बन गईं और शहर की रफ्तार पर ब्रेक लग गया।

जाम और जलभराव से जनता बेहाल

ऑफिस जाने वाले हों या किसी और ज़रूरी काम से निकले लोग, हर कोई घंटों लंबे ट्रैफिक जाम में फंसा नज़र आया। एयरपोर्ट फ्लाईओवर, मोती बाग, धौला कुआं, द्वारका अंडरपास, मिंटो रोड और लाजपत नगर जैसे प्रमुख इलाकों में घुटनों तक पानी भर गया, जिससे गाड़ियों की लंबी कतारें लग गईं। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

बारिश बनी काल: पेड़ गिरने से माँ और तीन बेटों की दर्दनाक मौत

इस बारिश ने मौसम भले ही सुहाना किया हो, लेकिन यह अपने साथ एक बेहद दुखद खबर भी लाई। द्वारका के खरखरी नहर गांव में सुबह तेज हवाओं के कारण एक भारी पेड़ खेत में बने ट्यूबवेल के कमरे पर गिर गया। इस दर्दनाक हादसे में कमरे में मौजूद 26 साल की माँ, ज्योति, और उनके तीन मासूम बेटों की दबकर मौत हो गई। उनके पति अजय को भी चोटें आई हैं। इस घटना ने पूरे इलाके में मातम फैला दिया है।

एक्शन में नई मुख्यमंत्री

दिल्ली में हाल ही में हुए सत्ता परिवर्तन के बाद नई मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता काफी सक्रिय नज़र आ रही हैं। बारिश से बिगड़े हालात का जायजा लेने के लिए वह खुद सड़कों पर उतरीं। उन्होंने अपनी कार से ही मजनूं का टीला जैसे बुरी तरह प्रभावित इलाकों का दौरा किया और वहां भारी जलभराव को देखते हुए अधिकारियों को तुरंत ज़रूरी कदम उठाने के निर्देश दिए।

CM का पुरानी सरकार पर निशाना

दिल्ली की इस बदहाली के लिए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सीधे तौर पर पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा, "यह पुरानी सरकार के किए गए पापों का नतीजा है कि आज दिल्ली की यह हालत है। मैं खुद उन रास्तों से होकर आई हूँ, जहाँ दिल्ली के हज़ारों लोग ट्रैफिक जाम में फंसे हुए हैं।" उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार इन अव्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए पूरी तरह तत्पर है, अधिकारी काम कर रहे हैं और जल्द ही हालात सुधारे जाएंगे।

क्या बदलेगी दिल्ली की किस्मत?

दिल्ली में बारिश होते ही सड़कों का तालाब बन जाना और शहर का जाम हो जाना, यह समस्या सालों पुरानी है। हर साल नालों की सफाई न होने या सही ड्रेनेज सिस्टम न होने के कारण दिल्ली वालों को इस मुसीबत से जूझना पड़ता है। पिछली 'आप' सरकार ने भी दिल्ली को चमकाने के बड़े-बड़े वादे किए थे, लेकिन 11 साल के शासन के बाद भी ज़मीनी हकीकत ज़्यादा नहीं बदली। अब करीब दो दशक बाद दिल्ली में बीजेपी की सरकार (नई मुख्यमंत्री के साथ) आई है। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या नई सरकार दिल्ली को इस सालाना परेशानी से मुक्ति दिला पाएगी, या यह सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा?

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