
दिल्ली सरकार पहली बार 4 जुलाई से 11 जुलाई 2025 के बीच क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिए कृत्रिम बारिश करवाने का ट्रायल करने जा रही है। इस तकनीक का उपयोग हवा में मौजूद बादलों में रसायन (जैसे सिल्वर आयोडाइड) डालकर बारिश को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
दिल्ली में हर साल गर्मी और प्रदूषण की वजह से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा मानसून की बारिश में भी कई बार देरी हो जाती है। ऐसे में क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिए बारिश कराने की योजना बनाई गई है, ताकि वायु गुणवत्ता को सुधारा जा सके और तापमान में कमी लाई जा सके।
इस ट्रायल के लिए दिल्ली सरकार ने विशेषज्ञों की एक टीम तैयार की है, जो मौसम की स्थिति को देखकर तय करेगी कि कौन-से दिन और समय पर क्लाउड सीडिंग करना सही रहेगा। यह तकनीक दुनिया के कई देशों में पहले ही सफलतापूर्वक इस्तेमाल की जा चुकी है, जैसे अमेरिका, चीन और संयुक्त अरब अमीरात।
दिल्ली सरकार का मानना है कि अगर यह प्रयोग सफल रहा तो भविष्य में इसे बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है। खासकर तब, जब राजधानी में प्रदूषण का स्तर खतरनाक सीमा तक पहुंच जाता है।
इस पहल से न सिर्फ गर्मी और प्रदूषण से राहत मिलेगी, बल्कि जल संकट से भी थोड़ी मदद मिल सकती है। यह ट्रायल एक नई शुरुआत हो सकती है जिसमें तकनीक का इस्तेमाल करके पर्यावरण से जुड़ी समस्याओं का समाधान खोजा जा सकता है।
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