
Up Kiran, Digital Desk: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गुरुवार को एक सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार (Delhi Government) की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने आवारा कुत्तों (stray dogs) को पकड़ने और इस फैसले का विरोध कर रहे पशु अधिकार कार्यकर्ताओं (animal rights activists) के खिलाफ तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि यह मामला “एक छोटे समूह की तेज आवाज़ों और बहुसंख्यक आबादी की मूक पीड़ा के बीच टकराव” का है।
'पशु प्रेमियों' पर SG मेहता का कटाक्ष
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने ऐसे लोगों को वीडियो पोस्ट करते देखा है जो मांस खाते हैं (eating meat) और फिर खुद को पशु प्रेमी (animal lovers) बताते हैं। उन्होंने कहा, "ऐसे लोग हैं जो मांस खाने के वीडियो पोस्ट करते हैं और फिर पशु प्रेमी होने का दावा करते हैं।" यह बयान उन लोगों पर निशाना साधता है जो एक ओर जानवरों के प्रति संवेदनशीलता दिखाने का दावा करते हैं, वहीं दूसरी ओर बच्चों की सुरक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज करते हैं।
बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि: रेबीज से मौत का खतरा
उन्होंने शीर्ष अदालत को अवगत कराया कि आवारा कुत्तों के काटने (dog bites) से रेबीज (rabies) के कारण बच्चों की मौत हो रही है। मेहता ने जोर देकर कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या का समाधान (resolved) किया जाना चाहिए, न कि इस पर विवाद (contested) किया जाना चाहिए। उन्होंने बेंच को संबोधित करते हुए कहा, “कुत्तों को मारने की ज़रूरत नहीं है, उन्हें अलग करने की ज़रूरत है। माता-पिता बच्चों को खेलने के लिए बाहर नहीं भेज सकते। छोटी लड़कियों का (शिकार) किया जा रहा है।”
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