
Up Kiran, Digital Desk: राजधानी दिल्ली में यमुना नदी अभी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, हालांकि जलस्तर में धीरे-धीरे गिरावट के संकेत मिल रहे हैं। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से 4 सितंबर को छोड़ा गया कई लाख क्यूसेक पानी अब कम होकर शुक्रवार शाम तक 58,000 क्यूसेक पर आ गया है। इस वजह से दिल्ली में बाढ़ की स्थिति में सुधार की उम्मीद जगी है।
शुक्रवार शाम 5 बजे पुराने रेलवे ब्रिज पर यमुना का जलस्तर 207.16 मीटर दर्ज किया गया, जो खतरे के निशान 205.33 मीटर से काफी ऊपर है। केंद्रीय जल आयोग का अनुमान है कि देर रात तक जलस्तर में और मामूली गिरावट आ सकती है। चूंकि हथिनीकुंड से छोड़े गए पानी को दिल्ली पहुंचने में करीब 36 घंटे लगते हैं, इसलिए अधिकारी अभी भी पूरी तरह से अलर्ट पर हैं।
सरकार और प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने दिल्ली के नागरिकों से शांत रहने और किसी भी तरह की अफवाह पर ध्यान न देने की अपील की है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार, प्रशासन, एनडीआरएफ, नागरिक एजेंसियां और सामाजिक संगठन मिलकर काम कर रहे हैं और जल्द ही स्थिति पर काबू पा लिया जाएगा।
कई जिलों में बाढ़ का असर, राहत शिविरों में लोग
यमुना के बढ़े जलस्तर का असर कई जिलों में देखने को मिला है।
पूर्वी दिल्ली: लगभग 7,200 लोग प्रभावित हुए हैं, जिनके लिए 7 राहत शिविर बनाए गए हैं।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली: 5,200 लोगों को 13 शिविरों में ठहराया गया है।
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली: 4,200 लोग 8 शिविरों में रह रहे हैं।
उत्तरी दिल्ली: 1,350 लोगों के लिए 6 शिविरों की व्यवस्था की गई है।
शाहदरा: 30 लोग प्रभावित हैं और एक शिविर बनाया गया है।
प्रभावित इलाकों में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें तैनात हैं और निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकाल रही हैं। राहत शिविरों में दिल्ली जल बोर्ड, दिल्ली नगर निगम और DUSIB जैसी एजेंसियां भोजन, साफ पीने के पानी और स्वच्छता की सुविधा सुनिश्चित कर रही हैं। पशुओं को भी सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए विशेष टीमें काम कर रही हैं।
राहत शिविरों में 24 घंटे सुविधाएं
राहत शिविरों में 24 घंटे नागरिक सुरक्षा और आपदा मित्र स्वयंसेवक तैनात हैं। किसी भी आपात स्थिति के लिए मेडिकल टीमें स्टैंडबाय पर हैं। दिन में तीन से चार बार भोजन बांटा जा रहा है। गैर-सरकारी संगठन और सामाजिक संस्थाएं भी भोजन और मेडिकल किट की आपूर्ति में सहयोग कर रही हैं।
पूर्वी दिल्ली में जिला मजिस्ट्रेट और बोट क्लब की देखरेख में 5,000 से अधिक लोगों को यमुना के बाढ़ग्रस्त इलाकों से निकाला गया। गोताखोरों और नाविकों ने अपनी जान जोखिम में डालकर न केवल निवासियों को बचाया, बल्कि सैकड़ों मवेशियों, बकरियों, भैंसों और कुत्तों को भी बचाया। पशुपालन विभाग अब इन बचाए गए पशुओं के लिए चारे और चिकित्सा देखभाल की व्यवस्था कर रहा है।
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