Up Kiran, Digital Desk: दिवाली से पहले दिल्ली की हवा एक बार फिर 'खराब' और 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है, लेकिन यह समस्या अब सिर्फ सर्दियों की नहीं रही. यह एक ऐसी इमरजेंसी बन चुकी है जो चुपचाप हमारे शरीर के हर अंग को सड़ा रही है. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि वायु प्रदूषण का असर सिर्फ खांसी, सांस लेने में तकलीफ या अस्थमा तक सीमित है, लेकिन सच्चाई इससे कहीं ज्यादा भयानक है.
हमने जब फोर्टिस हॉस्पिटल, फरीदाबाद के न्यूरोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विनीत बांगा से बात की, तो उन्होंने जो बताया, वह आपकी चिंता बढ़ा देगा. उन्होंने साफ कहा कि दिल्ली की हवा आपके दिल, दिमाग और शरीर के हर अंग पर हमला कर रही है.
यह सिर्फ खराब हवा नहीं, आपके शरीर के लिए 'जहरीला कॉकटेल' है
डॉ. बांगा बताते हैं कि दिल्ली की हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे जानलेवा कण इतने छोटे होते हैं कि वे सांस के जरिए सिर्फ फेफड़ों तक नहीं रुकते, बल्कि खून में मिल जाते हैं. खून में पहुंचते ही ये कण पूरे शरीर में फैल जाते हैं और अंगों में सूजन पैदा करना शुरू कर देते हैं.
दिल और खून की नसें: जब ये कण खून में घूमते हैं, तो इनसे धमनियां (खून की नसें) सख्त होने लगती हैं, जिससे हाई ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है. मशहूर मेडिकल जर्नल 'द लैंसेट' की एक स्टडी भी इस बात की पुष्टि करती है.
लिवर और किडनी पर बोझ: शरीर के नेचुरल फिल्टर, यानी लिवर और किडनी पर इन जहरीले कणों को साफ करने का इतना ज़्यादा बोझ पड़ता है कि वे समय से पहले ही कमजोर होने लगते हैं.
सबसे बड़ा खतरा: दिमाग भी सुरक्षित नहीं
डॉ. बांगा ने जिस सबसे बड़ी चिंता की ओर इशारा किया, वह है दिमाग पर प्रदूषण का असर. उन्होंने बताया कि ये खतरनाक कण खून के जरिए 'ब्लड-ब्रेन बैरियर' (दिमाग की सुरक्षा दीवार) को भी पार कर जाते हैं.
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, "ऐसे कई सबूत और स्टडीज हैं जो वायु प्रदूषण को सीधे तौर पर न्यूरोलॉजिकल यानी दिमाग से जुड़ी बीमारियों से जोड़ती हैं." प्रदूषण के कारण:
याददाश्त कमजोर होना (Cognitive function loss)
डिप्रेशन और तनाव
अल्जाइमर जैसी भूलने की बीमारियां हो सकती हैं.
बच्चों के लिए यह स्थिति और भी खतरनाक है. जन्म से ही जहरीली हवा में सांस लेने से उनके फेफड़े और दिमाग का विकास ठीक से नहीं हो पाता, जिससे वे जवानी से पहले ही गंभीर बीमारियों का शिकार बन सकते हैं.
यह एक 'खामोश हमलावर' है: डॉ. बांगा इसे "खामोश हमला" कहते हैं, क्योंकि इसका असर धीरे-धीरे होता है. आपको पता भी नहीं चलता और सालों-साल यह जहर आपके अंगों को अंदर से खोखला करता रहता है, जो बाद में हार्ट की बीमारी, हाई बीपी या याददाश्त जाने के रूप में सामने आता है.
अभी आप क्या कर सकते हैं: डॉक्टर ने कुछ जरूरी बचाव के तरीके भी बताए हैं:
N95 मास्क पहनें: जब भी घर से बाहर निकलें, खासकर सुबह और देर शाम को, अच्छी क्वालिटी का N95 मास्क जरूर पहनें.
घर में एयर प्यूरीफायर लगाएं: खासकर बेडरूम में, जहां आप सबसे ज्यादा समय बिताते हैं, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें.
घर में लगाएं ये पौधे: एरेका पाम (Areca Palm) और स्नेक प्लांट (Snake Plant) जैसे पौधे हवा को प्राकृतिक रूप से साफ करते हैं.
बाहर एक्सरसाइज से बचें: जब हवा की गुणवत्ता बहुत खराब हो, तो बाहर जाकर दौड़ने या एक्सरसाइज करने की गलती न करें. घर पर ही योग या वर्कआउट करें.
जब तक दिल्ली की हवा साफ नहीं होती, अपना बचाव करना ही सबसे बड़ा हथियार है. आज आपको यह धुआं शायद सामान्य लगे, लेकिन आपका शरीर हर जहरीली सांस का हिसाब रख रहा है.



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