
Up Kiran, Digital Desk: भारत ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में एक अविश्वसनीय उपलब्धि हासिल की है, अपनी सौर ऊर्जा क्षमता में चौंका देने वाली 4000% की वृद्धि दर्ज की है! केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस महत्वपूर्ण वृद्धि पर प्रकाश डाला है और जोर दिया है कि अब समय आ गया है कि देश इस बढ़ती हुई क्षमता को सहारा देने के लिए अपनी सौर आपूर्ति श्रृंखला को और अधिक लचीला और आत्मनिर्भर बनाए।
यह 4000% की वृद्धि कोई छोटी बात नहीं है। यह भारत की स्वच्छ ऊर्जा के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कुछ साल पहले जहाँ हमारी सौर क्षमता नगण्य थी, वहीं अब हम विश्व के अग्रणी सौर ऊर्जा उत्पादक देशों में से एक बन गए हैं।
यह उपलब्धि नवीकरणीय ऊर्जा की ओर भारत के तेज़ी से हो रहे बदलाव का प्रतीक है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के देश के प्रयासों का एक अहम हिस्सा है।
लेकिन इस प्रभावशाली प्रगति के बावजूद, मंत्री गोयल ने एक महत्वपूर्ण चुनौती की ओर इशारा किया है: सौर ऊर्जा उपकरणों के लिए बाहरी देशों पर अत्यधिक निर्भरता। उनका यह बयान भारत को सौर ऊर्जा उपकरणों के निर्माण में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक स्पष्ट संकेत है, जिसमें सोलर पैनल, बैटरी और अन्य आवश्यक घटक शामिल हैं।
उनका मानना है कि वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए, एक मज़बूत और घरेलू आपूर्ति श्रृंखला का होना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह न केवल हमारी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाएगा बल्कि हमें अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में उतार-चढ़ाव से भी बचाएगा।
घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने का मतलब है 'मेक इन इंडिया' पहल को सौर क्षेत्र में और तेज़ करना। इससे न केवल रोज़गार के अवसर पैदा होंगे, बल्कि भारत वैश्विक सौर ऊर्जा नवाचार और निर्माण में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभरेगा। यह न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन में एक अग्रणी भूमिका निभाने में भी मदद करेगा।
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