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रूस ने बीते वर्ष फरवरी में यूक्रेन के विरूद्ध युद्ध शुरू किया था, इसलिए पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए और रूसी तेल का निर्यात बंद कर दिया। मगर भारत ने प्रतिबंधों के बावजूद रूसी तेल खरीदना जारी रखा और आज रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आयातक बन गया है। यहां तक ​​कि जब यूरोपीय देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, भारत ने कच्चे तेल को खरीदने के लिए अलग-अलग उपाय खोजे। इस प्रकार रुपया-रूबल व्यापार एक नए स्तर पर पहुंच गया।

भारतीय कंपिनयों ने निकाला बेहतरीन तरीका

इस बीच अब भारतीय कंपनियों ने रूसी तेल खरीदने का एक नया रास्ता भी खोज लिया है, जो UAE से होकर जाता है। यानी भारतीय कंपनियां वहां इस्तेमाल होने वाली मुद्रा दिरहम का इस्तेमाल कर रूसी तेल खरीद रही हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज, बीपीसीएल और नायरा एनर्जी रूसी तेल खरीदने के लिए दिरहम का उपयोग कर रही हैं। इस तरह वे पश्चिम द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों से बच रहे हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, कई व्यापारियों की मांग के आधार पर भुगतान कार्गो में स्थानांतरित हो रहे हैं। मगर रिलायंस, बीपीसीएल और नायरा ने तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

रूसी तेल आयात पर यूरोपीय संघ के प्रतिबंध के बाद रूस कच्चे तेल का हिंदुस्तान का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बन गया है। जून के बाद से भारत सबसे ज्यादा कच्चा तेल रूस से खरीद रहा है और पहले यूरोप जाने वाला माल अब एशिया में शिफ्ट हो गया है। भारत को बेचा गया तेल 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बेचा गया था। आपको बता दें कि हिंदुस्तान यूएई का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।

 

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