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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय सिनेमा के इतिहास में कुछ फिल्में ऐसी हैं जो अपनी सफलता के साथ-साथ अपनी कहानी और पीछे की दिलचस्प बातों के लिए भी जानी जाती हैं। ऐसी ही एक फिल्म है 1975 में आई 'जय संतोषी मां'। यह फिल्म न केवल बॉक्स ऑफिस पर एक ब्लॉकबस्टर साबित हुई, बल्कि इसे ऑल-टाइम मोस्ट प्रॉफिटेबल मूवी में से एक माना जाता है।

 दिलचस्प बात यह है कि उस दौर में जब 'शोले' जैसी महाब्लॉकबस्टर फिल्म का बोलबाला था, 'जय संतोषी मां' ने अपनी अनूठी कहानी और भक्तिमय संगीत के दम पर दर्शकों का दिल जीता और 'शोले' की सुनामी का भी सामना किया। 

1975 में, जब रमेश सिप्पी की 'शोले' सिनेमाघरों में आई, तो उसने बॉक्स ऑफिस पर भूचाल ला दिया था। यह फिल्म भारतीय सिनेमा की सबसे बड़ी हिट्स में से एक मानी जाती है। ऐसे में, उसी साल रिलीज हुई 'जय संतोषी मां' का 'शोले' जैसी फिल्म के साथ खड़ा उतरना अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि थी।

इस फिल्म ने अपनी कम बजट और साधारण स्टारकास्ट के बावजूद, दर्शकों के बीच गहरी पैठ बनाई और एक बड़ी हिट साबित हुई।  कहा जाता है कि फिल्म की सफलता का एक बड़ा कारण इसका भक्तिपूर्ण संगीत और संतोषी मां के प्रति लोगों की आस्था थी, जिसने दर्शकों को थिएटर तक खींचा।

लीड एक्टर का व्रत और फिल्म की सफलता का कनेक्शन

फिल्म की सफलता के पीछे एक और दिलचस्प बात सामने आई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म में 'वीरान' का किरदार निभाने वाले लीड एक्टर दीपक पाराशर (Deepak Parashar) ने फिल्म की शूटिंग के दौरान मंगलवार का व्रत रखा था।यह व्रत वे स्वयं संतोषी मां के प्रति अपनी गहरी आस्था के कारण रख रहे थे।

 इस व्रत को फिल्म की शूटिंग के दौरान जारी रखने का उनका निर्णय, फिल्म की आध्यात्मिक पृष्ठभूमि और भक्ति भाव को और मजबूत करता है।  यह संभव है कि इसी आस्था और समर्पण ने फिल्म की ऊर्जा को और बढ़ाया हो, जो दर्शकों तक पहुंची।

'जय संतोषी मां' - सिर्फ एक फिल्म नहीं, एक आस्था का प्रतीक

जय संतोषी मां' सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, बल्कि यह उस समय की कई महिलाओं के लिए आस्था का प्रतीक बन गई थी। फिल्म के गाने, विशेष रूप से "मैं तो आरती उतारूं रे संतोषी माता की", आज भी लोकप्रिय हैं।फिल्म ने दिखाया कि कैसे एक अच्छी कहानी, सच्चा भक्ति भाव और दमदार संगीत, बड़े बजट और स्टार पावर को भी मात दे सकता है। 'जय संतोषी मां' आज भी भारतीय सिनेमा की सबसे लाभदायक फिल्मों में गिनी जाती है, जिसने साबित किया कि दर्शकों का दिल जीतने के लिए कंटेंट कितना महत्वपूर्ण है। 

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