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Chanakya Niti on Women: चाणक्य नीति किताब जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित गहन और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करती है। इसमें परिवार, रिश्ते, समाज और व्यक्तिगत जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण शिक्षाएं शामिल हैं।
आज के युग में जहां महिलाओं के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता और करियर को प्राथमिकता दी जाती है, इस नीति को समय के साथ बदलने की जरूरत है। चाणक्य नीति का मुख्य संदेश आज भी काम आता है। जिसके अनुसार रिश्तों को मजबूत करने के लिए नए घर को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
पुराने दिनों में यदि महिलाएं अपने माता-पिता के घर पर अधिक समय बिताती थीं तो ये समाज में चर्चा का विषय बन जाता था। इससे न केवल महिला बल्कि उसके परिवार की प्रतिष्ठा भी प्रभावित हो सकती है। चाणक्य का मानना था कि महिलाओं को ऐसी स्थितियों से बचना चाहिए।
चाणक्य नीति के अनुसार, शादी के बाद एक महिला को अपने नए घर की परंपराओं, रीति-रिवाजों और जिम्मेदारियों को स्वीकार करना चाहिए। लम्बे समय तक घर पर रहने से इसमें बाधा आ सकती है। इससे नये रिश्तों में संतुलन बनाए रखना कठिन हो सकता है।
चाणक्य ने पति-पत्नी के रिश्ते को परिवार की नींव बताया है। यदि कोई महिला शादी के बाद लंबे समय तक अपने मायके में रहती है तो इसका असर पति-पत्नी के रिश्ते पर पड़ सकता है। दूरी के कारण रिश्ते में संवाद और समझ कम हो सकती है।
चाणक्य ने अपने ग्रंथ में परिवार को समाज की नींव बताया है। शादी के बाद एक महिला का नया घर उसका प्राथमिक निवास होता है। वह परिवार को एकजुट करने और नए घर में समृद्धि लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। माता-पिता के घर पर बहुत अधिक समय बिताने से नए परिवार में समायोजन में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।
तालाक तक आ जाती है नौबत
चाणक्य के अनुसार विवाह के बाद स्त्रियों का अधिक समय तक घर में रहना परिवार और समाज के लिए अच्छा नहीं माना जाता था। इसके पीछे कई सांस्कृतिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण बताए गए हैं। चाणक्य का मानना था कि यदि महिला मायके में ज्यादा समय तक रहती है तो उसका पति से विवाद होना संभव है और नौबत तलाक तक आ जाती है।