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धर्म / अध्यात्म डेस्क। सनातन परंपरा में पूर्णिमा तिथि को शुभ एवं पवित्र माना जाता है। पूर्णिमा के दिन स्नान, दान, पूजा एवं हवन आदि करने से कल्याण होता है। जेष्ठ पूर्णिमा का तो अलग ही महत्व है। इस दिन स्नान, दान, पूजा, हवन आदि शुभ कार्य करने के साथ ही पशुओं व पक्षियों के दाना व पानी की व्यवस्था करनी चाहिए। जेष्ठ पूर्णिमा के दिन कुछ कार्य वर्जित भी माने गए हैं। इन कार्यों को करने से धन की देवी लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं। घर - परिवार में दरिद्रता व दूसरे तरह की परेशानियां आ सकती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस वर्ष 22 जून को जेठ पूर्णिमा है। इस दिन व्रत रखकर विधि विधान से माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी प्रकार के दुखों का शमन हो जाता है। इसके साथ ही पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। यदि आप गंगा नदी से दूर रहते हैं तो किसी भी पवित्र नदी या सरोवर में सनान कर दान करें।

जेष्ठ पूर्णिमा पर कुछ कार्य वर्जित माने गए हैं। इन्हें करने से जीवन में मुसीबतें आती हैं। इसके अलावा मां लक्ष्मी रूठ जाती हैं जिसे घर परिवार में दरिद्रता आने लगती है। पूर्णिमा के दिन तामसिक भोजन करने से मनुष्य के जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। इस दिन बाल-नाखून आदि नहीं कटवाना चाहिए इस तरह के सभी कार्य पूर्णिमा के एक दिन पहले कर लें।

सनातन धर्म में तुलसी के पत्ते में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है, इसलिए पूर्णिमा के दिन तुलसी का पत्ता भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए। यदि ऐसा  करना अशुभ माना जाता है। इस दिन रात्रि में दही का सेवन भी वर्जित है। दही खाने से चंद्र दोष लगता है और जातक हमेशा आर्थिक तंगी से परेशान रहने लगता है। इसी तरह पूर्णिमा के दिन काले के प्रयोग से बचें। 

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