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Up Kiran Digital Desk: बिहार सरकार की ओर से 1 जुलाई से लागू की गई "हर माह 125 यूनिट बिजली मुफ्त" योजना आम लोगों के लिए बड़ी राहत मानी जा रही है। खासकर उन परिवारों के लिए जो महंगाई के बोझ तले पहले से दबे हुए हैं। लेकिन इसके साथ ही ग्रामीण और शहरी इलाकों में इस योजना को लेकर कई तरह के सवाल उठने लगे हैं क्या ये वास्तव में घर-घर तक पहुंचेगी या फिर कुछ चुनिंदा लोगों तक ही सिमट कर रह जाएगी?

बिना आवेदन, सीधा लाभ: क्या इतना आसान है

बिजली विभाग का दावा है कि उपभोक्ताओं को योजना का लाभ लेने के लिए न तो किसी दफ्तर के चक्कर काटने होंगे और न ही कोई आवेदन देना होगा। हर महीने के पहले 125 यूनिट बिजली पर उपभोक्ता को कोई भुगतान नहीं करना पड़ेगा न फिक्स्ड चार्ज, न बिजली शुल्क और न ही ऊर्जा शुल्क। लेकिन सवाल यह है कि क्या सिस्टम में पहले से दर्ज त्रुटियों के कारण किसी को इसका लाभ मिलने में अड़चन तो नहीं होगी?

बकाया वालों को नहीं मिलेगी राहत

इस योजना से उन उपभोक्ताओं को निराशा हो सकती है जिनका बिजली बिल पहले से लंबित है। विभाग ने साफ कर दिया है कि मुफ्त बिजली का लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलेगा जिन्होंने जुलाई 2025 से पहले का बकाया चुकता कर दिया हो। बाकी उपभोक्ताओं को मुफ्त बिजली का लाभ लेने से पहले पुराने बिलों का निपटारा करना होगा।

स्मार्ट मीटर उपभोक्ताओं के लिए नया सिस्टम

जिन घरों में स्मार्ट मीटर लगे हैं, उनके लिए बिलिंग सिस्टम पूरी तरह बदल दिया गया है। अब रोज़ाना की खपत के आधार पर बिल बनेगा और 125 यूनिट तक की छूट स्वतः ही बिल में समायोजित हो जाएगी। यानी अब उपभोक्ताओं को यह देखने की जरूरत नहीं कि महीने में कब कितनी बिजली खर्च हुई—सिस्टम खुद ही गिनती करेगा।

कई कनेक्शन वाले घरों पर सख्ती

विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन घरों में एक से अधिक बिजली कनेक्शन हैं, वहां अब सिर्फ कोर्ट से जारी बंटवारा पत्र के आधार पर ही अतिरिक्त कनेक्शन को मंजूरी मिलेगी। यानी बड़ी रिहायशी इकाइयों में एक से ज्यादा मुफ्त बिजली का लाभ उठाने की मंशा रखने वालों को अब सावधान रहना होगा।

सौर ऊर्जा पर भी सरकार की नज़र

इस योजना का उद्देश्य सिर्फ मुफ्त बिजली तक सीमित नहीं है। सरकार अगले तीन वर्षों में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भी योजनाएं बना रही है। 1.1 किलोवाट के घरेलू सौर संयंत्र लगाने वालों को सब्सिडी दी जाएगी। खासतौर पर "कुटीर ज्योति" श्रेणी के उपभोक्ताओं को पूरी तरह आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। अन्य घरेलू उपभोक्ताओं को भी प्रोत्साहन राशि देने की योजना है।

राजनीतिक लाभ या जनकल्याण?

राजनीतिक गलियारों में इस योजना को लेकर चर्चाएं हैं कि क्या यह जनता को राहत देने का प्रयास है या फिर 2025 के विधानसभा चुनाव से पहले वोट बैंक मजबूत करने की रणनीति? यह सवाल इसलिए भी उठता है क्योंकि 19,793 करोड़ रुपये के अनुदान के साथ सरकार ने योजना के लिए बड़ा बजट पास किया है। इसके अतिरिक्त, मुख्यमंत्री विद्युत उपभोक्ता सहायता योजना को भी अगले वित्तीय वर्ष के लिए 3,797 करोड़ रुपये का प्रावधान दिया गया है।

जनता की चिंता: "कहीं यह भी जुमला न निकले"

ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरों तक उपभोक्ता इस योजना को लेकर उत्साहित जरूर हैं, लेकिन उनके मन में एक डर भी है। क्या वाकई हर उपभोक्ता को यह लाभ समय पर और बिना अड़चन मिलेगा? या फिर यह भी उन सरकारी योजनाओं में शामिल हो जाएगा जो केवल फाइलों में अच्छी लगती हैं?

बिजली विभाग ने भरोसा दिलाया है कि यह योजना समूचे बिहार के हर घर के लिए है चाहे गांव हो या शहर, सभी को लाभ मिलेगा। बस शर्त यही है कि उपभोक्ता ईमानदारी से बिजली का इस्तेमाल करें और पुराने बकाए का भुगतान समय से कर दें।

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