_1298393308.png)
Up Kiran, Digital Desk: छिंदवाड़ा के इस दर्दनाक कांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर कर रख दिया है। बच्चों की मौत के पीछे डॉक्टर की नैतिकता और जिम्मेदारी पर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल ही में एक बड़ा खुलासा हुआ है, जिसने इस मामले की गुत्थी को और गहरा कर दिया है। डॉक्टर प्रवीण सोनी ने कोर्ट में स्वीकार किया है कि वे बच्चों को जहरीला कफ सिरप इसलिए देते थे क्योंकि उन्हें हर बोतल पर 8 रुपए का कमीशन मिलता था। आइए जानते हैं इस कांड की पूरी कहानी और इसके बाद उठे सवाल।
डॉक्टर प्रवीण सोनी का 8 रुपए का लालच
प्रकरण की जांच के दौरान सामने आया कि प्रवीण सोनी को कोल्ड्रिफ कफ सिरप की हर बोतल पर 8 रुपए का कमीशन मिलता था। वह खुद कोर्ट में यह बात मान चुके हैं कि उनके लिए यह एक बड़ा मोटिवेशन था। 10 प्रतिशत कमीशन के लालच में वे मासूम बच्चों की जान से खिलवाड़ कर रहे थे। यह जानकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे कि कैसे एक डॉक्टर ने पैसे के लिए बच्चों की जान को खतरे में डाला।
डॉक्टर की पत्नी और भतीजे की दुकान पर बेची जाती थी दवाइयां
जांच में यह भी खुलासा हुआ कि प्रवीण सोनी की पत्नी, ज्योति सोनी और उनका भतीजा एक मेडिकल स्टोर चलाते थे, जिसका नाम "अपना मेडिकल" है। यही दुकान डॉक्टर के क्लीनिक के पास ही स्थित थी। कई दवाइयां इसी दुकान से बेचकर कमीशन कमाया जाता था। यानी बच्चों को जहरीली दवाइयां लिखने के पीछे परिवार के फायदे की साजिश साफ नजर आ रही है।
25 मासूमों की मौत: एक दर्दनाक हकीकत
परासिया के सिविल अस्पताल और निजी क्लीनिक में डॉक्टर प्रवीण सोनी ने जो दवाइयां बच्चों को लिखी, उनके सेवन से बच्चों को तेज बुखार, पेशाब में तकलीफ और किडनी की गंभीर समस्या हुई। इस वजह से अब तक 25 बच्चों की जान चली गई है। यह संख्या हर माता-पिता के लिए किसी भीाकाहिनी से कम नहीं।
न्याय व्यवस्था ने किया क्या फैसला?
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने प्रवीण सोनी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इससे स्पष्ट होता है कि कोर्ट इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और दोषियों को सजा दिलाने के लिए तत्पर है।