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Up kiran,Digital Desk : हार्ट अटैक अब सिर्फ बूढ़े लोगों की बीमारी नहीं रही। आजकल नौजवान भी इसकी चपेट में आ रहे हैं, और दुख की बात यह है कि हर मिनट कई जानें सिर्फ इसलिए चली जाती हैं क्योंकि आसपास मौजूद लोगों को यह पता ही नहीं होता कि उस 'गोल्डन मिनट' में करना क्या है।

कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जीवितेश सतीजा बताते हैं कि अगर हार्ट अटैक आने के शुरुआती कुछ मिनटों में सही कदम उठा लिए जाएं, तो एक ज़िंदगी बचाई जा सकती है। चलिए, आसान भाषा में समझते हैं कि आपको क्या करना चाहिए।

स्टेप 1: लक्षणों को पहचानें, धोखा न खाएं!

  • मुख्य लक्षण: सीने के ठीक बीच में तेज़ दर्द, भारीपन या जकड़न जो 5 मिनट से ज़्यादा रहे। यह दर्द बाएं हाथ, जबड़े, गर्दन या पीठ तक फैल सकता है।
  • साथ में दिखने वाले लक्षण: बहुत ज़्यादा पसीना आना, सांस फूलना, चक्कर आना, घबराहट या उल्टी जैसा महसूस होना।
  • साइलेंट हार्ट अटैक: ध्यान दें, बुज़ुर्गों, डायबिटीज़ के मरीज़ों और कुछ महिलाओं में ये класиक लक्षण नहीं दिखते। उन्हें सिर्फ बहुत ज़्यादा थकान, कमजोरी या गैस जैसी बेचैनी हो सकती है। अगर ऐसा कुछ अचानक हो, तो इसे नज़रअंदाज़ न करें।

स्टेप 2: तुरंत मदद बुलाएं, देर न करें!

जैसे ही आपको शक हो, फौरन 108 या 112 पर कॉल करें। फोन पर साफ-साफ बताएं कि आपको "हार्ट अटैक का शक" है और एम्बुलेंस को किसी ऐसे अस्पताल ले जाने को कहें जहाँ कैथ लैब (एंजियोप्लास्टी) की सुविधा हो। छोटे-मोटे क्लिनिक जाकर कीमती समय बर्बाद न करें। अगर एम्बुलेंस आने में देर हो रही है, तो किसी और गाड़ी का इंतज़ाम करें, लेकिन मरीज़ को खुद गाड़ी चलाने के लिए बिल्कुल न कहें।

स्टेप 3: तुरंत दें एस्पिरिन की गोली!

मदद बुलाने के फौरन बाद, मरीज़ को एस्पिरिन (300mg) की एक गोली दें। याद रखें, गोली को पानी से निगलना नहीं है, बल्कि चबा-चबाकर खाना है। आप डिस्प्रिन (Disprin) जैसी घुलने वाली गोली भी दे सकते हैं। यह छोटा सा कदम मौत के ख़तरे को 23% तक कम कर सकता है!
(ध्यान दें: अगर मरीज़ को एस्पिरिन से एलर्जी है या खून बहने वाली कोई बीमारी है, तो यह गोली न दें।)

स्टेप 4: मरीज़ को आराम दें, घबराहट कम करें

  • मरीज़ को ज़मीन पर सीधा लिटाने की बजाय, तकियों का सहारा देकर आरामदायक स्थिति में आधा बिठा दें (45 डिग्री पर)।
  • उसके कसे हुए कपड़े (जैसे शर्ट का बटन, टाई या बेल्ट) ढीले कर दें।
  • शांत रहें और मरीज़ को भी शांत रहने के लिए कहें। घबराहट से दिल पर दबाव बढ़ता है।
  • उन्हें चलने-फिरने या सीढ़ियां चढ़ने-उतरने से बिलकुल रोकें।

स्टेप 5: सांस और हरकत पर नज़र रखें

मरीज़ पर लगातार नज़र बनाए रखें। देखें कि वह होश में है या नहीं और उसकी सांस ठीक से चल रही है या नहीं।

स्टेप 6: अगर सांस रुक जाए, तो फौरन शुरू करें CPR

कभी-कभी हार्ट अटैक कार्डियक अरेस्ट में बदल जाता है, यानी दिल काम करना बंद कर देता है। मरीज़ बेहोश हो जाता है और उसकी सांस या नब्ज़ रुक जाती है। ऐसा होने पर बिना एक सेकंड गंवाए CPR देना शुरू कर दें।

  • कैसे दें CPR: अपने दोनों हाथों को एक के ऊपर एक रखकर मरीज़ की छाती के ठीक बीच में रखें।
  • अब ज़ोर से और तेज़ी से दबाएं। हर मिनट में 100 से 120 बार (यानी एक सेकंड में लगभग दो बार)।
  • दबाव इतना हो कि छाती करीब 2 इंच नीचे जाए।
  • यह तब तक करते रहें जब तक एम्बुलेंस न आ जाए या मरीज़ होश में आने के संकेत न दे।

ये गलतियां भूलकर भी न करें (ज़्यादातर लोग यही करते हैं!)

  • सीने के दर्द को गैस या एसिडिटी समझकर घंटों इंतज़ार करना।
  • पानी, सोडा या कोई दर्द की दवा देकर काम चलाना।
  • छाती की मालिश करना या रगड़ना।
  • मरीज़ को सीधा लिटा देना या उसे खुद ड्राइव करके अस्पताल ले जाना।
  • फोन पर रिश्तेदारों से सलाह लेने में कीमती समय बर्बाद करना।
  • पास के छोटे क्लिनिक ले जाकर गोल्डन ऑवर गंवा देना।

याद रखिए, आपकी सूझबूझ और ये सही कदम किसी की जान बचा सकते हैं। इस जानकारी को खुद भी याद रखें और दूसरों से भी साझा करें।