अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत-चीन सरहद पर दोनों मुल्कों के सैनिकों के बीच झड़प हो गई। भारत और चीन ने एक दूसरे पर अपने क्षेत्र में अतिक्रमण करने का आरोप लगाया है। भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इसकी जानकारी दी।
राजनाथ सिंह ने कहा कि चीनी सैनिकों ने तवांग सेक्टर के यांग्त्से इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर हमला कर एकतरफा तरीके से स्थिति को बदलने की कोशिश की. हालांकि, भारतीय जवानों ने इन कोशिशों को नाकाम कर दिया। रक्षा मंत्री के मुताबिक, इस मुठभेड़ में कोई भारतीय सैनिक नहीं मारा गया और कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। तवांग झड़प के बाद वाल उठ रहे है कि क्या चीन भारत को कमजोर समझता है।
चीन भारत को ताकतवर मानता है या कमजोर?
इंडियन आर्मी के पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल शंकर प्रसाद कहते हैं, 'चीन के साथ भारत के दो खास समझौते हैं, जिनका मकसद सीमा पर शांति बनाए रखना है। इसके बावजूद सरहद पर शांति कायम नहीं हो पा रही है। गलवान घटना हुई, पहले वह घटना डोकलाम में हुई और अब घटना तवांग में हुई।
इसका कारण यह है कि चीन भारत को कमजोर देखता है और चीन हमारी गणनाओं को सीमित करना चाहता है। हालांकि, अब समय बदल गया है। अब भारत चीन के आगे नहीं झुक रहा है।
वहीं, अंतरराष्ट्रीय मामलों की विशेषज्ञ और 'ड्रैगन ऑन आवर डोरस्टेप: मैनेजिंग चाइना थ्रू मिलिट्री पावर' बुक की सह-लेखिका गजाला वहाब कहती हैं कि भारत और चीन दोनों ही एक-दूसरे को प्रतिद्वंद्वी मानते हैं और एक-दूसरे के विरोधी हैं.
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