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Mirzapur 3 review: 'मिर्जापुर' के दूसरे सीजन के खत्म होते-होते कई किरदारों की मौत हो गई, जिससे उनके वर्चस्व का अंत हो गया। इनमें से कालीन भैया (पंकज त्रिपाठी) की हालत सबसे गंभीर थी। इस बीच, गुड्डू पंडित (अली फजल) ने एक नया रास्ता अपनाया, जिसका लक्ष्य एक नया गैंगस्टर साम्राज्य स्थापित करना था। मुन्ना त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) और बाउजी की मौत ने त्रिपाठी परिवार की नींव को और कमजोर कर दिया। कालीन भैया की कहानी ने गुड्डू पंडित के हमले के दौरान एक दिलचस्प मोड़ लिया।

नए सीज़न में क्या है खास

पहले दो सीजन की सफलता के बाद, निर्माताओं के सामने कुछ नया लाने की चुनौती थी। कई अनुभवी किरदारों की मौत के बाद, कहानी को एक नए मोड़ की जरूरत थी। दर्शकों ने पहले ही कहानी के भविष्य के बारे में अनुमान लगाना शुरू कर दिया था, और निर्माताओं ने निराश नहीं किया। उन्होंने न केवल कहानी को प्रभावी ढंग से जारी रखा, बल्कि इसे एक नई दिशा भी दी। इस सीजन में, सामान्य रक्तपात के अलावा, कथानक सच्चे प्यार, अस्तित्व की रणनीतियों और बहुत सारे नैतिक पाठों से समृद्ध है।

कहानी एक नए युग की शुरुआत की ओर इशारा करते हुए एक क्लिफहैंगर पर खत्म होती है, जो दर्शाता है कि चौथा सीज़न आने वाला है। इस आने वाले सीज़न में गुड्डू पंडित और कालीन भैया जैसे किरदारों के नए अंदाज तलाशे जाएंगे। अगले सीज़न में असली मसाला महिला किरदारों द्वारा जोड़ा जाएगा। इस सीज़न का समापन दृढ़ता से सुझाव देता है कि एक बदलाव चल रहा है, जिसमें महिलाएँ मिर्ज़ापुर की गद्दी संभालने की इच्छा रखती हैं। इस सीज़न के अंत तक, माधुरी यादव, गोलू, डिंपी और बीना जैसे किरदार काफी शक्तिशाली हो जाएंगे।

तीसरे सीजन की स्टोरी क्या

अब आते हैं तीसरे सीजन की कहानी पर। जौनपुर और मिर्जापुर के अलावा इस बार बिहार के सीवान के बाहुबलियों की कहानी प्रमुखता से दिखाई जा रही है। जौनपुर के बाहुबली शरद शुक्ला (अंजुम शर्मा) की ताकत बढ़ती नजर आएगी। शुरुआती एपिसोड में मिर्जापुर की गद्दी के लिए शरद शुक्ला और गुड्डू पंडित के बीच सीधी टक्कर देखने को मिलेगी। 
 

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