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यदि आपका जन्माष्टमी का व्रत गलती से खंडित हो गया है, तो परेशान या हताश होने की आवश्यकता नहीं है। धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार, कुछ विशेष प्रायश्चित करके आप इस स्थिति में भी कान्हा जी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और व्रत का पूर्ण फल भी पा सकते हैं।
व्रत खंडित होने पर क्या करें:यदि जन्माष्टमी का व्रत गलती से टूट गया है, तो सबसे पहले अपने आराध्य भगवान श्रीकृष्ण से सच्चे मन से क्षमा प्रार्थना करें। स्नान आदि से निवृत होकर, स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान लड्डू गोपाल के समक्ष बैठकर, हाथ में जल (गंगाजल हो तो उत्तम) लेकर अपनी गलती के लिए क्षमा मांगें। विश्वास रखें कि भगवान अपने भक्तों की शुद्ध भावना और पश्चाताप को अवश्य स्वीकार करते हैं।
प्रायश्चित के विशेष और अचूक उपाय:मंत्र जाप और स्तोत्र पाठ: व्रत खंडित होने पर आप भगवान श्रीकृष्ण के प्रिय मंत्रों का जाप कर सकते हैं। तुलसी की माला से कम से कम 11 बार "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" या "ॐ श्री विष्णवे नमः" मंत्र का जाप करना अत्यंत लाभदायक होता है। इसके अतिरिक्त, आप भगवान विष्णु को समर्पित किसी स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं। यह आपके मन को शांति देगा और भगवान की कृपा प्राप्त करने में सहायक होगा।
पीले वस्त्र और अन्न का दान: प्रायश्चित के रूप में, जन्माष्टमी का व्रत टूटने पर किसी जरूरतमंद, ब्राह्मण या गौशाला में पीले रंग के वस्त्र, अन्न, धन या गौधन का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। यह दान आपके व्रत के टूटने से हुई किसी भी प्रकार की कमी को पूरा कर सकता है।
घर पर हवन या पूजा: यदि संभव हो, तो घर पर ही एक छोटा सा हवन करें। इसमें भगवान श्रीकृष्ण के लिए विशेष आहुतियाँ डालें और अपनी गलती की क्षमा याचना करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, हवन करने से सभी प्रकार के दोष और पाप नष्ट हो जाते हैं और व्रत पूर्ण माना जाता है।
पंचामृत स्नान और भोग: आप भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या विग्रह को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल का मिश्रण) से स्नान करा सकते हैं। इसके बाद, विधि-विधान से उनकी पूजा करें और उन्हें माखन-मिश्री, फल आदि का भोग लगाएं। यह प्रभु के प्रति आपकी श्रद्धा और प्रेम को दर्शाता है।
पंडित को दान: आप किसी योग्य पंडित को दक्षिणा सहित पीला वस्त्र, फल, मिठाई, हल्दी, केसर, चना आदि सामग्री का दान कर सकते हैं। यह भी प्रायश्चित का एक उत्तम माध्यम है।
कुछ महत्वपूर्ण बातें: किसी भी व्रत को जानबूझकर तोड़ना धर्मग्रंथों के अनुसार अनुचित माना गया है। यदि आपका व्रत अनजाने में टूटा है, तो ऊपर बताए गए उपाय करें और भविष्य में अधिक सावधानी बरतें।
व्रत के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए। किसी भी प्रकार के वाद-विवाद या क्रोध से बचें।
जन्माष्टमी का व्रत सामान्यतः मध्यरात्रि में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद ही खोला जाता है। यदि आप निर्जला व्रत रख रहे हैं, तो पानी की एक बूंद भी ग्रहण न करें।
 
                    
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