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Up Kiran, Digital Desk: नमामि गंगे योजना के तहत सहायक नदी चंद्रभागा से अतिक्रमण हटाने की मुहिम ने दर्जनों परिवारों को सर्दी में बेघर कर दिया। नगर निगम (ऋषिकेश ) ने शनिवार को अचानक अभियान चलाया और जेसीबी की मदद से करीब साठ झोपड़ियां गिरा दीं। प्रभावित लोगों को अपना सामान संभालने का मौका तक नहीं मिला। दोपहर से शाम तक चली इस प्रक्रिया ने नदी क्षेत्र को साफ तो कर दिया लेकिन कई जिंदगियों को उजाड़ दिया।

अचानक अभियान से मची भगदड़

दोपहर बारह बजे नगर निगम की टीम जेसीबी लेकर नदी क्षेत्र में पहुंची तो वहां रहने वाले लोग घबरा गए। कुछ ने खुद ही अपनी झोपड़ियां खाली करनी शुरू की लेकिन प्रशासन ने मशीनें चला दीं। परिवारों में बच्चे और बुजुर्ग सामान बचाने के लिए भागदौड़ करते नजर आए। एक जेसीबी कम पड़ने पर दूसरी मंगाई गई और शाम चार बजे तक पूरा इलाका खाली हो गया। नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल से कुछ लोगों की तीखी बहस हुई लेकिन पुलिस की वजह से विरोध दब गया। सर्द मौसम में घर बचाने की गुहार भी बेकार रही।

पर्यावरण संरक्षण की पहल या मजबूरी का शिकार

एक दिन पहले नमामि गंगे के निदेशक विशाल मिश्रा ने ऋषिकेश का दौरा किया था। उन्होंने चंद्रभागा में गंदगी और कब्जे पर नाराजगी जताई जिसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ। सहायक आयुक्त चंद्रकांत भट्ट ने कहा कि ऐसे अभियान नियमित चलते हैं लेकिन कुछ लोग नहीं मानते। इसलिए झोपड़ियां हटानी पड़ीं। दोबारा कब्जा करने पर सख्त कार्रवाई की धमकी दी गई। टीम में नायब तहसीलदार जाहिद हसन सहायक आयुक्त अमन कुमार एसआई विनेश कुमार सफाई निरीक्षक अमित नेगी और सुभाष सेमवाल शामिल थे।

सर्दी में बेघर होने का दर्द

चंद्रभागा किनारे ये बस्तियां सालों पुरानी हैं। बाढ़ या शिकायत पर कभी-कभी कार्रवाई होती रही लेकिन बेघर परिवारों के लिए कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। प्रशासन अवैध गतिविधियों का हवाला देता है लेकिन गरीबी से जूझते इन लोगों की मदद के लिए कोई योजना नहीं। नतीजा वे बार-बार नदी किनारे लौट आते हैं।