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Up Kiran, Digital Desk: भारतीय खेल जगत में गुरुवार को एक दुखद खबर सामने आई। भारतीय हॉकी के सुनहरे दौर के दिग्गज खिलाड़ी और ओलंपिक पदक विजेता डॉ. वीस पेस (Dr. Vece Paes) का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। टेनिस के दिग्गज लिएंडर पेस (Leander Paes) के पिता डॉ. वीस पेस, जो खेल के मैदान पर और मैदान के बाहर दोनों जगह भारतीय खेल के लिए एक प्रतिष्ठित हस्ती थे, लंबे समय से पार्किंसंस रोग (Parkinson's disease) से पीड़ित थे।

खेल और चिकित्सा में अमूल्य योगदान:1972 म्यूनिख ओलंपिक (Munich Olympics) में भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा रहे डॉ. पेस ने टीम को कांस्य पदक (bronze medal) जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे एक उत्कृष्ट मिडफील्डर (midfielder) थे। खेल के प्रति उनके समर्पण के अलावा, डॉ. पेस एक डॉक्टर ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन (doctor of sports medicine) भी थे और उन्होंने कलकत्ता क्रिकेट एंड फुटबॉल क्लब (Calcutta Cricket and Football Club) के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। 1960 के दशक में उन्होंने एनआरएस मेडिकल कॉलेज (NRS Medical College) और वुडलैंड्स हॉस्पिटल (Woodlands Hospital) में अपनी मेडिकल प्रैक्टिस शुरू की थी।

पार्किंसंस से लंबी लड़ाई:डॉ. पेस को 12 अगस्त की देर रात वुडलैंड्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां वे पिछले दस महीनों से वुडलैंड्स होम केयर सर्विस (Woodlands Home Care Service) के अधीन थे। उन्हें निचले श्वसन पथ (lower respiratory tract) और जठरांत्र संबंधी मार्ग (gastrointestinal tract) में संक्रमण के कारण मल्टी-ऑर्गन डिसफंक्शन (multiorgan dysfunction) का सामना करना पड़ रहा था।

खेल हस्तियों ने जताया शोक:अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ (FIH) के अध्यक्ष तय्यब इक्राम (Tayyab Ikram) ने डॉ. पेस के निधन पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा, "भारतीय खिलाड़ी और ओलंपिक कांस्य पदक विजेता डॉ. वीस 'डॉक' पेस के निधन से बहुत दुखी हूँ। हॉकी परिवार हमारे खेल के प्रति उनके योगदान के लिए आभारी है, चाहे वह एक खिलाड़ी के रूप में हो या फिर एक खेल चिकित्सक के रूप में।"

वहीं, चार बार के ओलंपियन धनराज पिल्लै (Dhanraj Pillayi) ने भी डॉ. पेस को याद करते हुए कहा, “डॉ. वीस पेस, एक महान हॉकी खिलाड़ी, ओलंपिक पदक विजेता और मेरे जैसे एथलीटों के लिए एक सच्चे प्रेरक के निधन से गहरा दुःख हुआ। सात बार के ओलंपियन और अटलांटा 1996 कांस्य पदक विजेता लिएंडर पेस के पिता। भारतीय खेल में उनकी विरासत जीवित रहेगी। उनकी आत्मा को शांति मिले।”

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