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Up kiran,Digital Desk : दिल्ली की सड़कों पर रोज़ाना लाखों लोग अपनी मंजिल तक पहुँचने के लिए Ola, Uber और Rapido जैसी ऐप-आधारित टैक्सी सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इस सुविधा के पीछे ड्राइवरों की एक बड़ी शिकायत हमेशा रही है - हर राइड पर कटने वाला भारी-भरकम कमीशन।

लेकिन अब इस खेल को बदलने के लिए एक नया और बहुत बड़ा खिलाड़ी मैदान में उतर आया है, जिसका नाम है 'भारत टैक्सी'। यह कोई आम कंपनी नहीं है, बल्कि इसके पीछे अमूल (Amul), इफको (IFFCO) और नाबार्ड (NABARD) जैसे देश के 8 सबसे बड़े और भरोसेमंद सहकारी संगठन खड़े हैं। मंगलवार से दिल्ली में इस ऐप का पायलट ऑपरेशन शुरू हो गया है और इसने आते ही टैक्सी इंडस्ट्री में खलबली मचा दी है।

क्या है 'भारत टैक्सी' का सबसे बड़ा 'ब्रह्मास्त्र'?

कल्पना कीजिए, एक टैक्सी ड्राइवर दिन भर मेहनत करता है, ट्रैफिक से जूझता है और उसकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा (20-30%) कंपनी ले जाती है। 'भारत टैक्सी' इसी सबसे बड़ी दुखती रग पर मरहम लगाने आया है। इसका सबसे बड़ा आकर्षण है 'ज़ीरो कमीशन मॉडल'।

  • 100% कमाई ड्राइवर की: इस ऐप पर ड्राइवर जो भी कमाएगा, वह पूरा का पूरा पैसा उसकी जेब में जाएगा। कंपनी राइड में से कोई भी हिस्सा नहीं लेगी।
  • मुनाफे में भी हिस्सेदारी: यह एक सहकारी मॉडल पर काम करेगा। इसका मतलब है कि ऐप चलाने के बाद जो भी मुनाफा होगा, वह भी ड्राइवरों में ही बांटा जाएगा। यानी ड्राइवर सिर्फ कर्मचारी नहीं, बल्कि एक तरह से मालिक भी होंगे।

सिर्फ ड्राइवरों के लिए ही नहीं, यात्रियों के लिए भी है खास

  • पारदर्शी किराया: किराए में कोई हेर-फेर नहीं होगी, जिससे यात्रियों को फायदा होगा।
  • सुरक्षा की गारंटी: यात्रियों की सुरक्षा के लिए दिल्ली पुलिस के साथ टाई-अप किया गया है।
  • मेट्रो से कनेक्टिविटी: इसे दिल्ली मेट्रो जैसी सेवाओं से भी जोड़ा गया है, ताकि आखिरी मील तक की कनेक्टिविटी आसान हो सके।
  • 24/7 ग्राहक सेवा: किसी भी तरह की समस्या के लिए 24 घंटे कस्टमर सपोर्ट मौजूद रहेगा।

आते ही मचाई धूम

'भारत टैक्सी' ने अभी सिर्फ शुरुआत ही की  और अब तक 51,000 से ज़्यादा कार, ऑटो और बाइक ड्राइवर इससे जुड़ चुके हैं। दिल्ली के बाद गुजरात में भी ड्राइवरों का रजिस्ट्रेशन तेजी से चल रहा है।

यह कदम प्रधानमंत्री के 'सहकार से समृद्धि' विजन से प्रेरित है, जिसका मकसद ड्राइवरों को निजी कंपनियों की मनमानी से निकालकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमूल और इफको जैसे दिग्गजों के समर्थन वाला यह ऐप, Ola-Uber के एकछत्र राज को कितनी बड़ी चुनौती दे पाता है।