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Up Kiran, Digital Desk: देशभर में आस्था और सुरक्षा एक बार फिर आमने-सामने हैं। अमरनाथ यात्रा जैसे पवित्र आयोजन के दौरान श्रद्धालु हर वर्ष कठिन रास्तों से होकर बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए निकलते हैं, लेकिन इस बार माहौल पहले से कहीं अधिक सतर्क और संवेदनशील है। पहलगाम हमले की पृष्ठभूमि में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने यात्रा मार्ग को लेकर सुरक्षा व्यवस्था को और कड़ा कर दिया है। इसी के तहत अमरनाथ यात्रा के संपूर्ण रूट को नो-फ्लाइंग जोन घोषित किया गया है।

क्यों घोषित किया गया नो-फ्लाइंग जोन?

अमरनाथ यात्रा देश की सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक यात्राओं में से एक है, लेकिन हाल के वर्षों में आतंकी गतिविधियों के खतरे को देखते हुए इस मार्ग को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। इसलिए प्रशासन ने तय किया है कि यात्रा मार्ग के ऊपर या आसपास किसी भी तरह की हवाई गतिविधि—चाहे वह ड्रोन हो, हेलीकॉप्टर हो या फिर कोई विमान—को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाए। इसका मकसद है: श्रद्धालुओं की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित करना और संभावित हवाई खतरों को खत्म करना।

नो-फ्लाइंग जोन क्या होता है?

नो-फ्लाइंग जोन या नो-फ्लाई ज़ोन ऐसे विशेष क्षेत्र होते हैं जहाँ किसी भी तरह के हवाई वाहनों की उड़ान पर प्रतिबंध होता है। इन क्षेत्रों को आमतौर पर सुरक्षा कारणों से चिन्हित किया जाता है—जहाँ कोई भी उड़ती वस्तु खतरनाक मानी जा सकती है या जहां विशिष्ट स्थानों की गोपनीयता और सुरक्षा को बनाए रखना आवश्यक होता है।

देश में और कहां-कहां लागू है नो-फ्लाइंग जोन?

अमरनाथ यात्रा का मार्ग कोई पहला इलाका नहीं है जिसे नो-फ्लाइंग जोन में बदला गया है। भारत में कई ऐतिहासिक, धार्मिक और सामरिक दृष्टि से संवेदनशील स्थानों को पहले ही इस श्रेणी में शामिल किया जा चुका है। आइए कुछ प्रमुख स्थानों पर नज़र डालते हैं:

राष्ट्रपति भवन और संसद भवन – देश के सबसे अहम प्रशासनिक केंद्रों पर हवाई निगरानी और उड़ान की अनुमति नहीं है।

प्रधानमंत्री आवास – सुरक्षा कारणों से इस क्षेत्र को पूर्णतया नो-फ्लाइंग जोन बनाया गया है।

ताजमहल (आगरा) और स्वर्ण मंदिर (अमृतसर) – सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व के कारण इन जगहों पर ड्रोन उड़ाने तक की मनाही है।

तिरुमला वेंकटेश्वर मंदिर (आंध्र प्रदेश) और पद्मनाभस्वामी मंदिर (केरल) – धार्मिक श्रद्धा के केंद्र, इन स्थलों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।

भारतीय वायुसेना के ठिकाने और परमाणु अनुसंधान केंद्र (मुंबई) – सामरिक दृष्टि से अति संवेदनशील, इन स्थानों की हवाई निगरानी को प्रतिबंधित किया गया है।

श्रीहरिकोटा स्पेस सेंटर (ISRO) – भारत के अंतरिक्ष मिशनों के केंद्र पर किसी भी अनधिकृत उड़ान की अनुमति नहीं है।

द टॉवर ऑफ साइलेंस (मुंबई) – पारसी समुदाय की धार्मिक परंपरा का एक विशिष्ट स्थल भी नो-फ्लाइंग क्षेत्र में शामिल है।

मथुरा रिफाइनरी – औद्योगिक सुरक्षा की दृष्टि से यह क्षेत्र हवाई उड़ानों के लिए निषिद्ध है।

नियम तोड़ने पर क्या होता है?

यदि कोई हवाई वाहन नो-फ्लाइंग जोन के नियमों का उल्लंघन करता है, तो सबसे पहले संबंधित सुरक्षा एजेंसियां या एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) उस उड़ान से संपर्क करने का प्रयास करती हैं। चेतावनी दिए जाने के बावजूद अगर कोई विमान या ड्रोन उस क्षेत्र से नहीं हटता, तो उसे सुरक्षा में खतरा मानते हुए मजबूरन इमरजेंसी लैंडिंग के आदेश दिए जाते हैं। अत्यधिक जोखिम होने पर, उसे मार गिराने तक का विकल्प भी अपनाया जा सकता है।

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