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Up Kiran, Digital Desk: पंजाब के फिरोजपुर फाजिल्का रोड पर बसे गांव लाखों के बेहराम में पिछले 48 घंटों में चार युवाओं की अचानक मौत ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। मंगलवार को जहां एक युवक की जान गई, वहीं बुधवार को तीन और युवाओं ने दम तोड़ दिया। इन मौतों से पूरे गांव में मातम पसरा है और गुस्सा आसमान छू रहा है।
मृतकों के नाम हैं संदीप सिंह, रमणदीप सिंह उर्फ राजन, रणदीप सिंह और उमेद सिंह उर्फ उमेदू। इनकी उम्र महज 21 से 28 साल के बीच थी। गांव में चारों तरफ एक ही चर्चा है कब रुकेगा ये नशे का कहर?
न दवा काम आई, न इलाज... हर घर में एक दर्दनाक कहानी
गांव वालों का कहना है कि नशे की चपेट में आ चुके इन युवाओं ने पहले भी कई बार नशा मुक्ति केंद्रों का रुख किया, लेकिन वे लत से बाहर नहीं निकल सके। रमणदीप सिंह की मौत बुधवार सुबह उस वक्त हुई जब उसने मुंह से लेने वाली दवा को इंजेक्शन के जरिए ले लिया।
रणदीप और उमेद ने कुछ समय पहले नशा छोड़ दिया था, लेकिन उनकी सेहत दिन-ब-दिन खराब होती चली गई। एक को बिस्तर पर पड़े-पड़े जख्म हो गए थे, दूसरे की टांगे जवाब दे गई थीं।
सात मेडिकल स्टोर, एक भी अस्पताल नहीं!
ग्रामीणों का आरोप है कि गांव में सात मेडिकल दुकानें चल रही हैं, लेकिन कोई अस्पताल या क्लिनिक नहीं है। इन दुकानों पर नशीले पदार्थों की अवैध बिक्री होती है।
गांव पंचायत सदस्य सुखदीप कौर ने भावुक होते हुए कहा, मेरे बेटे की भी नशे से मौत हुई थी। प्रशासन को कई बार चेताया, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
परिवारों का फूटा ग़ुस्सा, शवों को लेकर सड़क पर उतरे लोग
मौत के बाद परिजन और ग्रामीण आक्रोश में आ गए। चारों शवों को सड़क पर रखकर करीब तीन घंटे तक हाईवे जाम किया गया। प्रदर्शनकारियों ने खुलेआम मेडिकल स्टोर्स पर ड्रग्स बेचने के आरोप लगाए और कड़ी कार्रवाई की मांग की।
नशा ने सब कुछ छीन लिया': उमेदू की कहानी सुनकर रूह कांप उठे
उमेदू की जिंदगी किसी त्रासदी से कम नहीं थी। नशे की लत के चलते उसने घर का सारा सामान बेच दिया और कर्ज में डूब गया। उसकी पत्नी और बच्चा उसे छोड़कर जा चुके थे। वह महीनों से बिस्तर पर अकेला पड़ा था। उसकी मौसी प्रकाश कौर ने बताया, “इलाज तक के पैसे नहीं थे। बस मौत का इंतजार कर रहा था।”
रमणदीप के पिता बचित्तर सिंह और चाचा परमहजीत सिंह ने बताया कि वह नौ साल से नशे में डूबा था। दस बार डि-एडिक्शन सेंटर गया, लेकिन हर बार फिर से उसी दलदल में चला गया।
पुलिस की मानी हार: "समस्या गंभीर है, समय लगेगा"
एसपी (डी) मंजीत सिंह ने माना कि गांव में नशे की समस्या गहरी है। उन्होंने कहा कि पुलिस लगातार नशे के शिकार युवाओं को समझा रही है और नशा मुक्ति केंद्रों में भेज रही है, लेकिन यह समस्या रातों-रात खत्म नहीं हो सकती।
उन्होंने बताया कि कुछ मेडिकल दुकानों को बंद कराया गया है और स्वास्थ्य विभाग को छापेमारी के आदेश दिए गए हैं। गांव की 4,500 की आबादी के मुकाबले सात मेडिकल स्टोर, लेकिन एक भी सरकारी क्लिनिक न होना चिंताजनक है।
कब जागेगा सिस्टम
लाखों के बेहराम अब एक ऐसे गांव का नाम बन गया है, जहां हर घर में नशे की पीड़ा बसी है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो अगली अर्थी किसके घर से उठेगी — यह कहना मुश्किल नहीं, सिर्फ दर्दनाक होगा।