img

shiv mandir found: मुजफ्फरनगर में मुस्लिम आबादी में इजाफा और हिंदू समुदाय के पलायन की रिपोर्ट ने क्षेत्र में सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को जन्म दिया है। इस स्थिति ने स्थानीय समुदायों के बीच तनाव को बढ़ाया है और धार्मिक स्थलों की स्थिति पर भी असर डाला है, जैसे कि खंडहर बन गए शिव मंदिर का उदाहरण।

इस मंदिर के बारे में ज्यादा बात बताते हुए यहां से पलायन करने वाले परिवार के सदस्य अमरेश सिंह जो कि बीजेपी नेता भी हैं ने बताया कि सबसे पहले 1970 में इस मंदिर का निर्माण हुआ था।  मामला मोहनलाल लद्दावाला मोहल्ले का है।

वहां पूजा अर्चना निरंतर होती रही मगर जैसे ही अयोध्या के राम मंदिर का मसला जोर शोर से उठा तो लोग मोहल्ले को छोड़ गए. क्योंकि, वहां मुस्लिम की जनसंख्या बहुत बढ़ गई थी. इधर-उधर मांस की दुकानें आदि खुल गई थीं. ऐसे में पूजा-पाठ मुश्किल था। इसकी के चलते सन् 1990-91 में हिंदू लोग मंदिर से मूर्तियां उठाकर अपने साथ लेकर चले गए और दूसरे स्थान पर स्थापित कर दिया।

खंडहर बन गए शिव मंदिर की स्थिति यह दर्शाती है कि धार्मिक स्थलों की देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता है। यह न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि स्थानीय इतिहास और संस्कृति का भी हिस्सा है।
 

--Advertisement--