
Tahawwur rana case: सन् 2008 के मुंबई हमले के अहम साजिशकर्ता तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार भारत लाने की लंबी और जटिल लड़ाई सफल रही। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की टीम आज इस पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक को अमेरिका से प्रत्यर्पित कर दिल्ली लेकर पहुंचेगी।
तहव्वुर राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिका की अदालतों में हर संभव कानूनी दांव चला। उसने ‘Double Jeopardy’ (दोहरे खतरे) के सिद्धांत का हवाला देते हुए दावा किया कि वो अमेरिका में पहले ही सजा काट चुका है, इसलिए भारत में उसे दोबारा सजा नहीं दी जा सकती। मगर भारत की कानूनी टीम ने ये स्पष्ट किया कि मुंबई हमले से जुड़े कई गंभीर आरोपों पर अब तक कोई मुकदमा नहीं चला है। ठोस कानूनी दस्तावेज़, गवाहों के बयान और सबूतों के आधार पर अमेरिकी अदालत को संतुष्ट किया गया।
एक वरिष्ठ कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि ये केस भारत की अंतरराष्ट्रीय कानून समझने और उसे लागू करने की दक्षता का बेहतरीन उदाहरण है।
इस वजह से प्रत्यर्पण करने में भारत को मिली सफलता
इस प्रत्यर्पण को संभव बनाने में भारत की विदेश नीति की बड़ी भूमिका रही। अमेरिका के साथ गहरे रणनीतिक संबंध, खासकर आतंकवाद के खिलाफ साझा प्रतिबद्धता इस मामले में निर्णायक साबित हुई। बाइडन प्रशासन और पूर्व ट्रंप सरकार दोनों ही भारत की मांग के समर्थन में खड़ी रहीं। ट्रंप ने तो अपने कार्यकाल में सार्वजनिक रूप से कहा था कि राणा को भारत को सौंपा जाएगा।
कौन है तहव्वुर राणा?
तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रह चुका है और बाद में आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए लॉजिस्टिक और नेटवर्किंग का काम करता रहा। 2009 में उसे अमेरिका में डेविड हेडली के साथ साजिश रचने के मामले में अरेस्ट किया गया था। अमेरिका में उसे कुछ मामलों में सजा मिली, मगर मुंबई हमले में उसकी प्रत्यक्ष भूमिका पर अब भारत में मुकदमा चलेगा।
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