
Up Kiran, Digital Desk: नौ दिनों तक मां दुर्गा की भक्ति और आराधना के बाद अब समय आ गया है उन्हें विदाई देने का. शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ ही दुर्गा विसर्जन का विधान है, जो आमतौर पर विजयदशमी यानी दशहरा के दिन किया जाता है. इस दिन भक्तगण माँ दुर्गा की प्रतिमा को पवित्र नदी या सरोवर में विसर्जित करते हैं और उनसे अगले बरस जल्दी आने की कामना करते हैं.
दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि सही समय पर विसर्जन करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देकर जाती हैं. आइए जानते हैं कि इस साल दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त क्या है और आपके शहर में विसर्जन का सही समय क्या रहेगा.
दुर्गा विसर्जन का शुभ मुहूर्त: हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल दशमी तिथि 2 अक्टूबर 2025, गुरुवार को दोपहर 02:22 बजे से शुरू होगी और 3 अक्टूबर, शुक्रवार को दोपहर 03:28 बजे समाप्त होगी.
विसर्जन का शुभ समय: 3 अक्टूबर, शुक्रवार को सुबह 06:15 बजे से सुबह 08:38 बजे तक.
कुल अवधि: 2 घंटे 23 मिनट.
देश के प्रमुख शहरों में विसर्जन का मुहूर्तनई दिल्ली: सुबह 06:16 AM से 08:38 AM तक
पुणे: सुबह 06:29 AM से 08:55 AM तक
चेन्नई: सुबह 06:01 AM से 08:24 AM तक
कोलकाता: सुबह 05:32 AM से 07:58 AM तक
हैदराबाद: सुबह 06:12 AM से 08:36 AM तक
अहमदाबाद: सुबह 06:35 AM से 09:00 AM तक
नोएडा: सुबह 06:16 AM से 08:39 AM तक
जयपुर: सुबह 06:22 AM से 08:45 AM तक
मुंबई: सुबह 06:33 AM से 08:59 AM तक
गुरुग्राम: सुबह 06:17 AM से 08:40 AM तक
बेंगलुरु: सुबह 06:12 AM से 08:36 AM तक
चंडीगढ़: सुबह 06:18 AM से 08:42 AM तक
कैसे करें दुर्गा विसर्जन,पूजा और आरती: विसर्जन से पहले, मां दुर्गा की प्रतिमा की विधि-विधान से पूजा करें. उन्हें फूल, सिंदूर, फल और मिठाई अर्पित करें. इसके बाद परिवार के सभी सदस्य मिलकर मां की आरती करें.
देवी को भोग लगाएं: मां को विदाई से पहले दही-भात या कोई सात्विक मिठाई का भोग लगाएं.
ज्वारों का विसर्जन: कलश स्थापना के समय बोए गए ज्वारों (खेती) को भी मूर्ति के साथ विसर्जित किया जाता है. कुछ ज्वारे अपने घर की तिजोरी या पूजा स्थल पर रखना शुभ माना जाता है.
विसर्जन यात्रा: अब प्रतिमा को सम्मानपूर्वक उठाकर किसी पवित्र नदी या तालाब तक ले जाएं. रास्ते भर मां के जयकारे लगाएं.
क्षमा याचना: जल में प्रतिमा को विसर्जित करने के बाद, हाथ जोड़कर नौ दिनों की पूजा में हुई किसी भी भूल के लिए क्षमा मांगें और अगले बरस फिर से पधारने की प्रार्थना करें.