Up kiran,Digital Desk : अमेरिका में भारत को लेकर एक बड़ी हलचल मची हुई है। अमेरिकी संसद में ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक फ़ैसले के ख़िलाफ़ आवाज़ें उठने लगी हैं। तीन अमेरिकी सांसदों ने एक प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें उन्होंने ट्रंप प्रशासन की तरफ़ से भारत से आने वाले सामान पर लगाए गए 50% भारी-भरकम टैक्स (टैरिफ) को ख़त्म करने की मांग की है।
सांसदों का साफ़ कहना है कि राष्ट्रपति का यह क़दम "गैरकानूनी" है और इससे किसी का फ़ायदा नहीं हो रहा, बल्कि यह अमेरिकी मज़दूरों, आम ग्राहकों और भारत के साथ अमेरिका के रिश्तों को भी नुक़सान पहुँचा रहा है।
कौन हैं ये सांसद और क्यों कर रहे हैं विरोध?
यह प्रस्ताव सांसद डेबोरा रॉस, मार्क वीजी और भारतीय मूल के राजा कृष्णमूर्ति लेकर आए हैं। उन्होंने खुलकर बताया है कि यह टैक्स अमेरिका के लिए ही कैसे बुरा है:
- डेबोरा रॉस ने कहा, "हमारे राज्य नॉर्थ कैरोलिना की अर्थव्यवस्था भारत से बहुत गहराई से जुड़ी है। भारतीय कंपनियों ने हमारे यहां अरबों डॉलर का निवेश किया है, जिससे हज़ारों लोगों को नौकरियाँ मिली हैं। ऐसे में यह टैक्स हमारे ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।"
- मार्क वीजी ने साफ़ किया, "भारत हमारा एक बहुत ज़रूरी दोस्त है। यह टैक्स सीधे-सीधे आम लोगों पर एक बोझ की तरह है, जो पहले से ही महंगाई से परेशान हैं।"
- राजा कृष्णमूर्ति ने इसे उल्टा असर डालने वाला बताया। उन्होंने कहा, "इस टैक्स से फ़ायदा तो हो नहीं रहा, उल्टा अमेरिका में चीज़ें महँगी हो रही हैं, मज़दूरों को दिक़्क़त हो रही है और सप्लाई चेन भी बिगड़ गई है।" उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इस टैक्स को हटाने से ही भारत और अमेरिका के रिश्ते मज़बूत होंगे।
कैसे लगाया गया था यह टैक्स?
ट्रंप प्रशासन ने "राष्ट्रीय आपातकाल" की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए भारत से आने वाले कई उत्पादों पर यह 50% का टैक्स लगा दिया था। सांसदों का कहना है कि राष्ट्रपति को इतनी बड़ी कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। इससे पहले ब्राज़ील पर लगे ऐसे ही टैक्स को हटाने के लिए भी एक प्रस्ताव लाया जा चुका है।
यह कोई पहली बार नहीं है जब इन सांसदों ने आवाज़ उठाई हो। पिछले साल अक्टूबर में भी इन लोगों ने 19 अन्य सांसदों के साथ मिलकर राष्ट्रपति ट्रंप को चिट्ठी लिखी थी और इन नीतियों को वापस लेने की अपील की थी। लेकिन जब बात नहीं बनी, तो अब उन्होंने इसे ख़त्म करने के लिए संसद में प्रस्ताव ही पेश कर दिया है।
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