Up kiran,Digital Desk : पाकिस्तान से एक ऐसी खबर आई है जिसके बारे में सुनकर शायद आपको यकीन न हो। लाहौर की एक बहुत बड़ी और मशहूर यूनिवर्सिटी, 'लाहौर यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट साइंसेज' (LUMS) ने एक ऐसा कदम उठाया है जो 77 सालों में कभी नहीं हुआ। यूनिवर्सिटी ने अपने छात्रों के लिए संस्कृत भाषा का कोर्स शुरू किया है और अब वे गीता और महाभारत जैसे ग्रंथ भी पढ़ाने की तैयारी कर रहे हैं। यह पाकिस्तान के लिए एक बहुत बड़ा और ऐतिहासिक फैसला माना जा रहा है।
जब छात्रों ने संस्कृत पढ़ी, तो हैरान रह गए!
शुरुआत में तो छात्रों को यह भाषा किसी पहेली जैसी लगी, थोड़ी मुश्किल भी। लेकिन जैसे ही उन्होंने इसे समझना शुरू किया, वे हैरान रह गए। उन्हें पता चला कि उनकी अपनी भाषा उर्दू और दूसरी पाकिस्तानी भाषाओं के हज़ारों शब्द तो असल में संस्कृत से ही निकले हैं! यह उनके लिए एक नई और चौंकाने वाली खोज थी। देखते ही देखते उनकी दिलचस्पी इस पुरानी भाषा में बढ़ने लगी।
क्यों उठाया गया यह कदम?
इस कोर्स को शुरू करने वाले प्रोफेसरों का मानना है कि संस्कृत, हिंदी और उर्दू जैसी भाषाएँ आपस में गहराई से जुड़ी हुई हैं। उनका कहना है कि संस्कृत किसी एक धर्म या देश की भाषा नहीं है, बल्कि यह पूरी इंसानियत की एक कीमती विरासत है।
उनका मकसद सिर्फ एक भाषा पढ़ाना नहीं, बल्कि दक्षिण एशिया के देशों के बीच एक सांस्कृतिक पुल बनाना है, ताकि लोग अपनी साझा जड़ों को पहचान सकें। यह कोर्स एक छोटी सी वर्कशॉप से शुरू हुआ था, लेकिन छात्रों की बढ़ती दिलचस्पी को देखकर अब इसे एक पूरे कोर्स में बदल दिया गया है। यूनिवर्सिटी का प्लान है कि 2027 तक इसे एक साल का पूरा कोर्स बना दिया जाएगा, जिससे पाकिस्तान में भी संस्कृत के विद्वान तैयार हो सकें।
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