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Up Kiran, Digital Desk: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक अधिकारी को रिश्वतखोरी के एक मामले में अग्रिम जमानत (Anticipatory Bail) दे दी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब केंद्रीय जांच एजेंसियां लगातार सुर्खियों में हैं और उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

मामला एक रिश्वतखोरी से जुड़ा था, जिसमें ED अधिकारी पर एक आरोपी से अनुचित लाभ लेने या जांच में ढील देने के लिए पैसे मांगने का आरोप लगा था। आरोप काफी गंभीर थे, खासकर एक ऐसी एजेंसी के अधिकारी पर जो वित्तीय अपराधों की जांच करती है। इस आरोप के बाद अधिकारी के खिलाफ जांच शुरू हुई और गिरफ्तारी की आशंका थी।

ED अधिकारी ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए केरल उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी। न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, कुछ शर्तों के साथ अधिकारी को अग्रिम जमानत दे दी। अग्रिम जमानत का मतलब है कि अगर अधिकारी को गिरफ्तार किया जाता है, तो उसे तुरंत जमानत पर रिहा कर दिया जाएगा। यह आमतौर पर तब दिया जाता है जब अदालत को लगता है कि आरोपी के भागने की संभावना कम है और उसे हिरासत में रखने की तत्काल आवश्यकता नहीं है।

इस फैसले से ED अधिकारी को तत्काल राहत मिली है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वह आरोपों से बरी हो गए हैं। मामले की जांच अभी भी जारी रहेगी और उन्हें जांच में सहयोग करना होगा। यह मामला एक बार फिर केंद्रीय जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली, उनके अधिकारियों की जवाबदेही और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में न्यायपालिका की भूमिका को रेखांकित करता है।

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