
Up Kiran, Digital Desk: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन में एक बड़ा भूचाल आ गया है। उनके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वाल्ट्ज की व्हाइट हाउस से विदाई लगभग तय मानी जा रही है। वजह? वाल्ट्ज पर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बेहद संवेदनशील जानकारी लीक करने का गंभीर आरोप लगा है और उन्हें दोषी पाया गया है, जिसके चलते अब उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ रहा है।
सूत्रों की मानें तो यह राष्ट्रपति ट्रंप के (दूसरे) कार्यकाल में स्टाफ में होने वाला पहला बड़ा फेरबदल है। वाल्ट्ज पर मुसीबत के बादल मार्च महीने में तब मंडराने लगे, जब यह खुलासा हुआ कि उन्होंने एक पत्रकार, जेफरी गोल्डबर्ग, को एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप 'सिग्नल' पर चल रही एक प्राइवेट टेक्स्ट-चैट ग्रुप में जोड़ दिया था। हैरानी की बात यह है कि इस चैट ग्रुप का इस्तेमाल यमन में हूती आतंकवादियों के खिलाफ 15 मार्च को होने वाले एक बेहद गोपनीय और संवेदनशील सैन्य ऑपरेशन की प्लानिंग और चर्चा के लिए किया जा रहा था।
माइक वाल्ट्ज, जिन्हें 20 फरवरी 2025 को ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद NSA चुना गया था, अब ट्रंप प्रशासन से बाहर होने वाले पहले बड़े सहयोगी होंगे। इस लीक कांड ने न केवल सुरक्षा एजेंसियों को चौंकाया है, बल्कि ट्रंप के कट्टर समर्थकों में भी नाराजगी है।
राष्ट्रपति की एक मुखर और अति-दक्षिणपंथी सहयोगी, लॉरा लूमेर, भी वाल्ट्ज के खिलाफ खुलकर सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि हाल ही में ओवल ऑफिस में ट्रंप के साथ हुई बातचीत में लॉरा लूमेर ने साफ तौर पर राष्ट्रपति से कहा कि उन्हें उन सभी सहयोगियों को फौरन हटा देना चाहिए, जो उनके (लूमेर के) हिसाब से ट्रंप के "मेक अमेरिका ग्रेट अगेन" (MAGA) एजेंडे के प्रति पूरी तरह से वफादार नहीं हैं। वाल्ट्ज का यह मामला इसी दबाव का नतीजा माना जा रहा है।
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