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Up Kiran, Digital Desk: भारत के लिए चीन के साथ संबंधों को लेकर एक स्पष्ट और स्वतंत्र विदेश नीति (clear-eyed and independent foreign policy) की आवश्यकता पर ज़ोर दिया गया है। यह नीति किसी भी बाहरी शक्ति, जैसे कि अमेरिका या रूस, के एजेंडे से प्रभावित न होकर भारत के अपने राष्ट्रीय हितों (India's own national interests) को प्राथमिकता देने वाली होनी चाहिए। यह महत्वपूर्ण सलाह भारत की जटिल भू-राजनीतिक स्थिति और चीन के साथ इसके बहुआयामी संबंधों को देखते हुए दी गई है।

राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखने का 'क्यों'?

लेख में इस बात पर बल दिया गया है कि भारत को चीन के साथ अपने संबंधों को किसी तीसरे देश के दृष्टिकोण से नहीं देखना चाहिए। भारत की चीन नीति (China policy) को इन प्रमुख तत्वों पर आधारित होना चाहिए:

भारत की 'स्पष्ट दृष्टि' का महत्व:

एक 'स्पष्ट दृष्टि' वाली चीन नीति का मतलब है कि भारत को चीन के इरादों, उसकी क्षमताओं और उसके कार्यों का ईमानदारी से मूल्यांकन (realistic assessment) करना चाहिए। इसमें केवल आर्थिक लाभ या कूटनीतिक संबंधों पर ध्यान केंद्रित करना पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा (national security) और संप्रभुता (sovereignty) की रक्षा को भी सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी।

यह लेख संभवतः इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे भारत को वैश्विक मंच पर अपनी स्थिति मजबूत करते हुए, चीन के साथ अपने संबंधों को बुद्धिमत्तापूर्ण ढंग से प्रबंधित करने की आवश्यकता है, ताकि वह अपने दीर्घकालिक राष्ट्रीय हितों की पूर्ति कर सके।

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