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हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और सालभर में कुल 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं। यदि अधिक मास (मलमास) आता है, तो यह संख्या 26 तक पहुंच जाती है। हर महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी आती है और दोनों का ही धार्मिक दृष्टि से अपना विशेष महत्व होता है।

वैशाख मास भगवान विष्णु की उपासना के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस माह में आने वाली वरुथिनी एकादशी और मोहिनी एकादशी का व्रत विशेष फलदायी होता है।

वरुथिनी एकादशी 2025 – तिथि और पारण मुहूर्त

व्रत तिथि: 24 अप्रैल 2025 (गुरुवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 अप्रैल को शाम 4:43 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 24 अप्रैल को दोपहर 2:32 बजे

व्रत पारण तिथि: 25 अप्रैल 2025 (शुक्रवार)

                                                                                                                                                                             पारण का समय: सुबह 6:14 बजे से 8:47 बजे तक

वरुथिनी एकादशी व्रत को सौभाग्य और सुरक्षा का प्रतीक माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने वाला व्यक्ति भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करता है और जीवन के संकटों से सुरक्षित रहता है।

मोहिनी एकादशी 2025 – तिथि और पारण मुहूर्त

व्रत तिथि: 8 मई 2025 (गुरुवार)

एकादशी तिथि प्रारंभ: 7 मई को सुबह 10:19 बजे

एकादशी तिथि समाप्त: 8 मई को दोपहर 12:29 बजे

व्रत पारण तिथि: 9 मई 2025 (शुक्रवार)

                                                                                                                                                                                                                                                                                                                                             पारण का समय: सुबह 6:06 बजे से 8:42 बजे तक

मोहिनी एकादशी व्रत से मोह और बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग खोलता है। भगवान विष्णु की पूजा और उपवास इस दिन विशेष फलदायी मानी जाती है।

एकादशी व्रत का विशेष महत्व

एकादशी व्रत रखने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की पूजा करने से घर में धन, वैभव और सौभाग्य बढ़ता है।

यह व्रत आत्मिक शुद्धि और मन की स्थिरता का साधन है।