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Up Kiran, Digital Desk: जैसे मज़बूत जड़ों से पेड़ को ताकत मिलती है, वैसे ही हमारा समाज भी तभी मज़बूत बनेगा जब हम अपने बुज़ुर्गों को सहारा देंगे," यह कहना है स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) डॉ. सुनीता शर्मा का. अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के मौके पर उन्होंने कहा कि हमारे बुज़ुर्ग ही परिवार और समाज की जड़ें हैं.
एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, "परिवार और समाज से मिलने वाला भावनात्मक सहारा ही बुज़ुर्गों की सबसे बड़ी ताकत है. सरकार की तो कई योजनाएं हैं, लेकिन समाज के हर व्यक्ति को भी आगे आकर अपनी ज़िम्मेदारी निभानी होगी."
बुज़ुर्गों ने बांटे अपने अनुभव
यह कार्यक्रम सीताराम भारतिया अस्पताल में आयोजित किया गया था, जिसका मकसद था बुज़ुर्गों के अनुभवों से सीखना. इस मौके पर एम्स की पहली और एकमात्र महिला निदेशक रहीं 95 वर्षीय डॉ. स्नेह भार्गव, 93 वर्षीय स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएल भार्गव और 82 वर्षीय हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. हेमलता तिवारी को "स्मार्ट सीनियर्स" के खिताब से सम्मानित किया गया. इन सभी ने अपनी ज़िंदगी के खट्टे-मीठे अनुभव साझा किए.
आने वाले समय में बढ़ेगी बुज़ुर्गों की आबादी
एम्स की चिकित्सा अधीक्षक डॉ. निरुपम मदान ने बताया कि बुज़ुर्गों को आज के समय में किन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, आर्थिक सुरक्षा और अच्छे माहौल की ज़रूरत पर हमें ध्यान देना होगा.
डॉ. मदान ने बताया कि अभी भारत में 60 साल से ज़्यादा उम्र के 14.9 करोड़ लोग हैं. यह संख्या 2050 तक बढ़कर 34.7 करोड़ और 2100 तक 55 करोड़ हो जाएगी, जो उस समय देश की कुल आबादी का 36% होगी. उन्होंने कहा कि हमें इसके लिए अभी से तैयारी शुरू करनी होगी.