
Up Kiran, Digital Desk: देश की राजनीति को एक नई दिशा देने वाले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में एक बार फिर चुनावी माहौल गरमाने लगा है। इस साल नवंबर में छात्र संघ (JNUSU) चुनाव होने की पूरी संभावना है, और इसके लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने अपनी कमर कस ली है। एक शिकायत निवारण सेल (Grievance Redressal Cell) का गठन कर दिया गया है, जो पूरी चुनाव प्रक्रिया पर अपनी नज़र रखेगा।
यूनिवर्सिटी के अधिकारियों का कहना है कि चुनाव नवंबर के बीच या आखिर तक हो सकते हैं। एक आधिकारिक सर्कुलर के मुताबिक, पीएचडी छात्रों के एकेडमिक सेशन शुरू होने के छह से आठ हफ़्तों के अंदर चुनाव कराए जा सकते हैं, और यह सेशन 12 सितंबर से शुरू हो चुका है।
चुनावों के लिए बनी ख़ास कमेटी: डीन ऑफ स्टूडेंट्स के दफ्तर से जारी नोटिफिकेशन में बताया गया है कि चुनाव से जुड़ी किसी भी शिकायत या मुद्दे को सुलझाने के लिए एक शिकायत निवारण सेल (GRC) बनाई गई है। इस कमेटी की अध्यक्ष डीन ऑफ स्टूडेंट्स, प्रोफेसर मनुराधा चौधरी होंगी। उनके साथ 10 टीचर और 2 छात्र प्रतिनिधि भी इस पैनल का हिस्सा होंगे।
यह कमेटी एक तरह से "कोर्ट" की तरह काम करेगी। अगर चुनाव में कोई गड़बड़ी होती है या नियमों का उल्लंघन होता है, तो यह कमेटी उस पर एक्शन लेगी। यह उम्मीदवारों के चुनावी खर्चों की जांच कर सकती है और नियम तोड़ने वालों पर कार्रवाई भी कर सकती है। इसके पास किसी को गवाही के लिए बुलाने का भी अधिकार होगा।
पिछले साल कैसा था मुकाबला: पिछला चुनाव काफी रोमांचक रहा था। लेफ्ट गठबंधन ने JNU छात्र संघ के चार में से तीन बड़े पदों पर अपनी जीत का परचम लहराया था। वहीं, 10 साल के लंबे इंतज़ार के बाद RSS से जुड़े छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने भी शानदार वापसी करते हुए संयुक्त सचिव का पद अपने नाम किया था।
पिछले चुनाव में नितीश कुमार (आइसा) अध्यक्ष चुने गए थे, मनीषा (डीएसएफ) उपाध्यक्ष बनी थीं, और मुंतहा फातिमा (डीएसएफ) ने महासचिव का पद हासिल किया था। लेकिन एबीवीपी के वैभव मीणा ने संयुक्त सचिव का पद जीतकर लेफ्ट के पारंपरिक किले में एक मज़बूत चुनौती पेश की थी, जिसने आने वाले चुनावों को और भी दिलचस्प बना दिया है।