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Up Kiran, Digital Desk: त्रिपुरा में स्मार्ट मीटर लगाने को लेकर चल रहा विवाद अब एक बड़े जन आंदोलन का रूप ले चुका है। राज्य भर के उपभोक्ता अपने बढ़े हुए बिजली बिलों पर भारी रोष में हैं, जिससे वे सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। यह मामला अब राजनीतिक गलियारों में भी गरमा गया है।

सरकार और निगम का पक्ष: त्रिपुरा राज्य विद्युत निगम लिमिटेड (TSECL) और राज्य सरकार का दावा है कि ये स्मार्ट मीटर पूरी तरह से सही रीडिंग दे रहे हैं। उनका कहना है कि पहले मीटर सही रीडिंग नहीं देते थे, जिससे उपभोक्ताओं द्वारा कम भुगतान किया जा रहा था। TSECL के अनुसार, अब ये मीटर सटीक रीडिंग दर्ज कर रहे हैं, जिससे वास्तविक खपत के आधार पर बिल आ रहे हैं। उनका कहना है कि सभी स्मार्ट मीटर प्रमाणित हैं और उनकी रीडिंग बिल्कुल सटीक है।

उपभोक्ताओं और विपक्ष का आरोप:

लेकिन उपभोक्ता इन दावों से इत्तेफाक नहीं रखते। उनका आरोप है कि ये मीटर या तो दोषपूर्ण (faulty) हैं या इनमें हेरफेर (rigged) किया गया है, जिसके चलते मनमाने तरीके से बिल बढ़ रहे हैं। कई उपभोक्ताओं का कहना है कि उनकी खपत में कोई बदलाव नहीं आया है, फिर भी उनके बिल अप्रत्याशित रूप से दोगुने या तिगुने हो गए हैं।

कांग्रेस, सीपीआई(एम), और टिपरा मोथा जैसे विपक्षी दलों के साथ-साथ 'नबा जागरण' जैसे गैर-सरकारी संगठन (NGO) भी इस विरोध में शामिल हो गए हैं। उन्होंने इस मुद्दे को लेकर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन, रैली और घेराव किए हैं। वे इन स्मार्ट मीटरों की फिर से जांच करने, उन्हें बदलने या उपभोक्ताओं को किश्तों में बिल चुकाने की सुविधा देने की मांग कर रहे हैं। कुछ ने तो पारंपरिक मीटरों पर वापस लौटने की भी मांग की है।

मामले की गंभीरता: राज्य में अब तक 2.8 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर लगाए जा चुके हैं, और कुल 4 लाख मीटर लगाने का लक्ष्य है। यह विवाद अब एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक मुद्दे का रूप ले चुका है, जिससे राज्य में राजनीतिक तनाव भी बढ़ रहा है।

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