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Up kiran,Digital Desk : पुलिस कहती है हमने हिड़मा को मार गिराया, लेकिन अब नक्सलियों की एक चिट्ठी ने इस पूरी कहानी पर ही एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। छत्तीसगढ़ के सुकमा के जंगलों से आई यह चिट्ठी सिर्फ़ एक कागज़ का टुकड़ा नहीं है, बल्कि यह एक दावा है, एक सफ़ाई है और कुछ लोगों पर एक गंभीर आरोप भी है।

तो क्या कहती है नक्सलियों की यह चिट्ठी?

इस चिट्ठी में नक्सलियों ने पुलिस के एनकाउंटर वाले दावे को सिरे से ख़ारिज कर दिया है। उनके मुताबिक, हिड़मा की मौत पुलिस की बहादुरी का नतीजा नहीं, बल्कि एक 'धोखे' का परिणाम है।

उन्होंने दावा किया है कि उनकी ही टीम का एक भागा हुआ (सरेंडर किया हुआ) नक्सली पुलिस से जा मिला और उसी ने हिड़मा का पता-ठिकाना बताया। नक्सलियों का आरोप है कि इसी गद्दारी की वजह से पुलिस हिड़मा तक पहुँच पाई।

एक और नेता को बचाने की कोशिश और बड़ा आरोप

यही नहीं, नक्सलियों ने अपने एक दूसरे नेता 'देव जी' पर लगे हिड़मा की हत्या के आरोपों को भी झूठा बताया है। उनका कहना है कि देव जी को इस मामले में ज़बरदस्ती फँसाया जा रहा है।

और सबसे सनसनीखेज बात, इस चिट्ठी में नक्सलियों ने पूर्व विधायक मनीष कुंजाम और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी पर एक बेहद गंभीर आरोप लगाया है। उनका कहना है कि इन दोनों ने पुलिस के साथ मिलकर 'देव जी' को फंसाने की साजिश रची है।

यह सिर्फ़ गोलियों की नहीं, कहानियों की भी लड़ाई है

यह चिट्ठी उस लड़ाई को दिखाती है जो सुकमा के जंगलों में सिर्फ़ बंदूक़ों से नहीं, बल्कि बातों, दावों और इल्ज़ामों से भी लड़ी जा रही है। पुलिस जब भी किसी बड़े कमांडर को मार गिराने का दावा करती है, तो अक्सर नक्सलियों की तरफ़ से ऐसी ही कोई कहानी सामने आती है जो उस दावे को कमज़ोर करने की कोशिश करती है।

अब सवाल यह है कि सच क्या है? क्या यह पुलिस की एक बड़ी कामयाबी है, या फिर धोखे और साज़िश की एक कहानी, जैसा कि नक्सली कह रहे हैं? इस एक चिट्ठी ने हिड़मा एनकाउंटर की कहानी को और भी उलझा दिया है