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Up Kiran, Digital Desk: दिल्ली में महिलाओं को लेकर बहुप्रतीक्षित महिला सम्मान योजना को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में इस योजना से जुड़ी कुछ अहम बातें साझा की हैं, जो दिल्ली की लाखों महिलाओं के लिए राहत की उम्मीद बन सकती हैं।
चार महीने बाद भी योजना अधर में, महिलाएं सवालों के घेरे में
दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी सरकार को चार महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है। इस दौरान कई जनहित योजनाएं घोषित की गईं और कुछ लागू भी हो चुकी हैं, लेकिन महिला सम्मान योजना—जिसे चुनाव के दौरान भाजपा के घोषणापत्र में प्रमुखता से शामिल किया गया था—अब तक अमल में नहीं लाई गई है।
विधानसभा चुनाव से पहले वादा किया गया था कि सरकार बनते ही हर महिला को प्रति माह ₹2500 की आर्थिक सहायता दी जाएगी। हालांकि योजना के क्रियान्वयन को लेकर अब भी स्पष्टता नहीं है।
मुख्यमंत्री का अपडेट: नीति निर्माण जारी है
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हाल ही में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि महिला सम्मान योजना को लेकर सरकार सक्रिय है और इसके लिए बजट सत्र में अलग से राशि का आवंटन भी किया जा चुका है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि योजना के लिए एक विशेष समिति बनाई गई है जो वर्तमान में नीतियों और दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे रही है।
दस्तावेज हों तैयार, तभी मिलेगा लाभ
सरकार की ओर से अभी योजना शुरू करने की तारीख तो घोषित नहीं की गई है, लेकिन मुख्यमंत्री ने महिलाओं से अपील की है कि वे अपने दस्तावेज पहले से तैयार रखें।
योजना का लाभ केवल उन्हीं महिलाओं को मिलेगा जिनके पास दिल्ली में जारी मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड होगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कई महिलाएं अभी इन दस्तावेजों से वंचित हैं, और यदि वे योजना का लाभ लेना चाहती हैं तो उन्हें जल्द से जल्द ये दस्तावेज बनवाने चाहिए।
कब से शुरू होगी योजना?
हालांकि आधिकारिक घोषणा की घड़ी अभी नहीं आई है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक योजना को अगले कुछ हफ्तों या महीनों में शुरू किया जा सकता है। रेखा गुप्ता ने अपने बयान में कहा कि “सरकार पूरी तैयारी में जुटी है और योजना को लागू करने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।”
महिलाओं की उम्मीदें, सरकार की परीक्षा
इस योजना को लेकर दिल्ली की महिलाओं में काफी उत्सुकता है। महंगाई और आर्थिक असमानता से जूझ रही महिलाओं को ₹2500 की मासिक सहायता एक बड़ा सहारा हो सकता है। हालांकि, योजना के विलंबित क्रियान्वयन पर सवाल भी उठ रहे हैं—क्या यह एक और चुनावी जुमला बनकर रह जाएगा या वास्तव में ज़मीन पर दिखेगा?
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