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Up Kiran , Digital Desk: हाल के दिनों में भारत-पाक सरहद पर हुई घटनाओं ने न केवल क्षेत्रीय तनाव बढ़ाया है बल्कि पड़ोसी चीन की सैन्य तैयारियों की एक नई तस्वीर भी सामने आई है। चीन ने न सिर्फ अपने हिमालयी क्षेत्र में वायुसेना के कई एयरबेसों का विकास तेज कर दिया है बल्कि ऐसा नेटवर्क तैयार किया है जो भारत के पारंपरिक भौगोलिक लाभों को चुनौती देता नजर आता है। यह बदलाव केवल तिब्बत या लद्दाख के आसपास सीमित नहीं है बल्कि चीन ने छह बड़े एयरबेसों को आधुनिक तकनीक और रणनीतिक तैनाती से लैस कर लिया है।

सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि टिंगरी ल्हुन्जे बुरांग युतियान और यारकंट जैसे एयरबेसों में चीन ने नये रनवे ड्रोन बेस रडार सिस्टम इंजन टेस्ट पैड और हथियार डिपो बनाए गए हैं। ये एयरबेस साल 2016 से 2021 के बीच विकसित हुए और अब एक-दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं जिससे किसी एक एयरबेस पर हमला होने पर चीन के पास तुरंत विकल्प मौजूद रहे। यह रणनीति चीन की सैन्य ताकत को कई गुना बढ़ा देती है और भारतीय वायुसेना के लिए नई चुनौती पेश करती है।

वायुसेना के पूर्व एयर मार्शल अनिल खोसला के अनुसार "चीन की ये अग्रिम तैनाती और नेटवर्किंग भारतीय एयरफोर्स की पारंपरिक वर्चस्व को सीधे चुनौती देती है। टिंगरी और ल्हुन्ज़े जैसे एयरबेस वास्तविक नियंत्रण रेखा के बहुत करीब हैं जो चीनी एयरफोर्स को तेज प्रतिक्रिया और त्वरित तैनाती की क्षमता देते हैं।" इस तेज़ी से विकसित हो रहे नेटवर्क के चलते भारत को अब अपनी रणनीतियों को नई दिशा में ढालना होगा।

भारत की तैयारी: चुनौतियां और संभावनाएं

भारत भी इस चुनौती से अनजान नहीं है। इंडियन एयरफोर्स ने अपनी रणनीति को सुधारते हुए लेह हासीमारा तेजपुर और भुज जैसे एयरबेसों में अत्याधुनिक तकनीक और हथियार प्रणाली जैसे S-400 Akash मिसाइल और राफेल फाइटर जेट तैनात किए हैं। साथ ही एयरफोर्स ने हाई ऑल्टीट्यूड ऑपरेशंस के लिए बुनियादी ढांचे को भी अपग्रेड किया है।

फिर भी भारत को बड़ी चुनौती फाइटर जेट की संख्या और तकनीकी उन्नयन में देखनी पड़ रही है। चीन के पास 1900 से अधिक फाइटर जेट हैं जिनमें से कई चौथी और पांचवीं पीढ़ी के हैं जबकि भारत के पास अभी तक कोई पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ जेट उपलब्ध नहीं है। AMCA प्रोजेक्ट जो भारत का पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू विमान है अभी विकासाधीन है और इसे पूर्णता में आने में कम से कम एक दशक लग सकता है।

इस मामले में भारत को UAV (ड्रोन) और लूटर म्यूनिशन क्षमताओं को भी तेजी से विकसित करना होगा। साथ ही LAC पर एयरबेस नेटवर्क को और मजबूत करना सैटेलाइट इंटेलिजेंस और AI आधारित निगरानी तंत्र में भारी निवेश करना आवश्यक हो गया है।

 

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