पंजाब के निलंबित आईजी परमराज सिंह उमरानंगल और दो अन्य पुलिस कर्मियों के विरूद्ध झूठी पुलिस मुठभेड़ का केस दर्ज किया गया है। उन पर गुरदासपुर जिले के एक व्यक्ति की फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने का आरोप है।
पुलिस ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट को बताया कि 25 साल पहले जिस पुलिस मुठभेड़ में गुरनाम सिंह बंडाला उर्फ नीला तारा को आतंकवादी बताकर सुखपाल सिंह नाम के शख्स की हत्या की गई थी, वो फर्जी थी। इस मामले में गलत तथ्यों के आधार पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी।
मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) ने पहले हाई कोर्ट को बताया था कि जांच से पता चला है कि सुखपाल सिंह जुलाई-अगस्त 1994 से लापता थे। उन्होंने यह भी बताया कि रोपड़ जिले के मोरिंडा पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र में पुलिस मुठभेड़ के दौरान एक अज्ञात व्यक्ति मारा गया था और इस संबंध में जुलाई 1994 को धारा 307 और 34 और शस्त्र अधिनियम और टाडा की धाराओं के अंतर्गत केस दर्ज किया गया था।
पुलिस का दावा है कि पुलिस मुठभेड़ में मारा गया शख्स आतंकी गुरनाम सिंह बंडाला था। हालाँकि, बाद में पता चला कि बंडाला जीवित था और उसे 9 अक्टूबर 1998 को बटाला पुलिस ने एक अलग मामले में अरेस्ट कर लिया था।
गलत तथ्यों के आधार पर दर्ज की गई थी FIR
नवीनतम हलफनामे में विशेष पुलिस महानिदेशक और विशेष जांच दल के अध्यक्ष गुरप्रीत देव ने कहा, '29 जुलाई 1994 को रोपड़ जिले और मोरिंडा पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले की जांच के दौरान यह पाया गया है कि इसमें पुलिस मुठभेड़ को दर्शाया गया है। ये फर्जी था और एफआईआर भी गलत तथ्यों के आधार पर दर्ज की गई थी।'
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