img

Farmers Crisis: पंजाब हमेशा से कृषि प्रधान राज्य रहा है, परन्तु किसानों पर लगातार बढ़ते कर्ज के बोझ ने कृषि को घाटे का सौदा बना दिया है। जबकि पंजाब का कृषि ऋण 3 लाख करोड़ रुपये से अधिक है और मार्च 2025 तक 3.50 लाख करोड़ रुपये को पार करने का अनुमान है, कृषि ऋण 1 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है, जिससे पंजाब में खेती संकट पैदा हो गया है।

पंजाब के कृषि ऋण के मुताबिक, निजी बैंकों पर 85,460 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है, जबकि सहकारी बैंकों पर 10 हजार करोड़ रुपये और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है।

केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह स्थिति स्पष्ट की है। इसके साथ ही यह भी कहा गया है कि पंजाब के किसानों पर लगे कर्ज को माफ करने से साफ इनकार कर दिया गया है।

लोकसभा में सवाल नंबर 8 के जवाब में केंद्र सरकार ने देश के विभिन्न राज्यों के कर्ज पर रिपोर्ट जारी की है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, ये सभी ऋण 31.03.2024 तक बकाया हैं।

आपको बता दें कि मार्च 2024 में राज्य का वार्षिक बजट पेश करते हुए पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल चीमा ने अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक पंजाब का कर्ज 3.74 लाख करोड़ रुपये को छू जाएगा, जो राज्य के सकल घरेलू उत्पाद का 1.5 गुना है। उत्पाद (जीडीपी) का हिस्सा 46 प्रतिशत से अधिक है।